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जैन समाज की एकता के दावों की निकली हवा!-2

जयपुर (अग्रगामी) श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन समाज की एकता के पाखण्ड का जितनी जोर-शोर से ढिंढोरा पीटा जा रहा है, उस पाखण्ड की उतनी ही तेजी से असलियत परत-दर-परत खुलती ही जा रही है। एक तरफ मुनि तरूण सागर अपने तामझाम के साथ सत्ताधीशों की देहलियां तलाश रहे हैं और सत्ताधीशों के यहां विश्राम कर रहे हैं वहीं उन्होंने अब तो सत्ता के गलियारों में सत्ताधीशों द्वारा बोली जाने वाली भाषा का भी जम कर उपयोग करना शुरू कर दिया है! वहीं एक हद तक श्वेताम्बर मुनि ललितप्रभ सागर और मुनि चंद्रप्रभ सागर ने मुनि तरूण सागर का रास्ता अभी तक अख्तियार नहीं किया है।

जैसा कि अग्रगामी संदेश ने खुलासा किया था, समग्र जैन समुदाय, जिनमें दिगम्बर समाज व श्वेताम्बर समाज के विभिन्न धडे शामिल हैं, ने मुनि तरूण सागर और महोपाध्याय ललितप्रभ सागर के कार्यक्रमों के आयोजकों के दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता के पाखण्ड से पूरी तरह किनारा कर रखा है, यह सच्चाई अब आम जैन समुदाय के श्रद्धालुओं के सामने हकीकत बन कर उजागर हो गई है।
अग्रगामी संदेश के पिछले अंकों में हमने उजागर किया था कि मुनि तरूण सागर के रामबाग सर्किल स्थिति एसएमएस इन्वेस्टमेंट ग्राउण्ड पर होने वाले कार्यक्रम को इवेन्टमैनेजमेंट के तरीके से संचालित किया जायेगा। दिगम्बर या श्वेताम्बर समुदाय के एक भी सामाजिक संगठन का इसमें कोई योगदान नहीं होगा! अग्रगामी संदेश का यह खुलासा सही साबित होता जा रहा है और दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता के पाखण्ड के पीछे की हकीकत अब सामने आती जा रही है। श्वेताम्बर समाज को साफ-साफ समझ में आ गया है कि दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता के पाखण्ड की आड में उनके साथ छलावा हो रहा है। श्वेताम्बर-दिगम्बर एकता ने पाखण्ड का सहारा लेकर राजनेताओं की भीड़ जुटाने की नौटंकी में लिप्त मुनि तरूण सागर जयपुर चातुर्मास आयोजन समिति में बैठे शहर के श्वेताम्बर समाज के पूंजीपतियों और इस समिति को अपना समर्थन देने वाले एक मात्र श्वेताम्बर संगठन श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के पदाधिकारियों को साफ-साफ समझ में आ गया है कि एसएमएस इन्वेस्टमेंट ग्राउण्ड में आयोजक-प्रयोजक सिर्फ मुनि तरूण सागर से सम्बन्धित इवेन्टमैनेजमैंट से जुडे लोग हैं। श्वेताम्बर समाज के लोग तो सिर्फ दर्शकों की तरह आमन्त्रितों की स्थिति में होंगे।

सब से शर्मनाक स्थिति यह है कि धन्नासेठों, टैक्स चोरों, बिल्डर माफिया, भू-माफिया और विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वाले पूंजीपतियों-सरमायेदारों और उनके दुमछल्लों ने श्वेताम्बर समाज में श्वेताम्बर-दिगम्बर एकता का एक मसालेदार हव्वा खड़ा कर समाज के मध्यम और निम्रमध्यम वर्ग को अपने चंगुल में जकड़ कर सत्ताधीशों और सत्ता की आस लगाये बैठे राजनेताओं के आगे अपना रूतबा साबित करने का जो निन्दनीय एवं कुत्सित प्रयास करने की कोशिश की उसका भांडा फूट गया और श्वेताम्बर समाज का एक भी धडा इन टैक्स चोरों और भ्रष्टचार में लिप्त धन्नासेठों और टैक्स चोरों के साथ एकजुट नहीं हुआ!

इसे बेशर्मी की इन्तंहा ही कहा जायेगा कि यह जानते हुए कि मुनि तरूण सागर के जयपुर चातुर्मास का सारा कार्यक्रम मुनि तरूण सागर के विश्वस्त माणक काला और मुनि जी के अनुयाइयों तथा उनके अन्य विश्वस्तों के निर्देशन में कार्यरत इवेन्टमैनेजमैंट के लोगों द्वारा संचालित किया जा रहा है और इस मामले में दिगम्बर हों या श्वेताम्बर, किसी भी धडे के अन्य किसी भी संगठन का किसी भी स्तर पर न तो दखल है और न ही कोई भूमिका, श्वेताम्बर समाज के उन धन्नासेठों, सरमायेदारों और पूंजीपतियों ने लगभग पूर्ण आत्मसमर्पण कर खरतरगच्छ संघ को ऐसी अपमानजनक स्थिति में खड़ा कर दिया है जिसका विकल्प खुद उन्हें नहीं सूझ रहा है! क्या दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता इस ही तरह होगी? वैसे वर-वधु के जोडे बैठाने, भ्रष्ट सेठियों के कसीदे गाने वाले और बृह्मराक्षसों को क्या पता सामाजिक एकता का अर्थ क्या होता है? उन्हें तो चंद चांदी के टुकडों से मतलब होता है, जो उन्हें पूंजीपति सरमायेदारों से ही मिल सकते हैं!

अब मुनि तरूण सागर चातुर्मास समिति के द्वारा जारी और कुछ दैनिकों में साया हुए विज्ञापन पर विस्तार से विवेचना कर लिया जाये! इस विज्ञापन को जारी करने वाले एन.के.सेठी माणक काला और महेन्द्र सुराणा दिगम्बर या श्वेताम्बर समुदाय के किस मत-पंथ के अगुआ हैं? माणक काला होटल व्यवसायी हैं, एन.के.सेठी सेवानिवृत अधिकारी हैं और महेन्द्र सुराना भी सेवानिवृत आईएएस अधिकारी हैं। इस विज्ञापन में श्वेताम्बर या फिर दिगम्बर समाज के किसी भी धडे के किसी भी पदाधिकारी का नाम अंकित नहीं है! अत: यह विज्ञापन ही साफ कर देता है कि मुनि तरूण सागर के इस कार्यक्रम में दिगम्बर और श्वेताम्बर समाज का कोई भी धार्मिक संगठन जुडा हुआ नहीं है और दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता का यह पाखण्ड वनमैन-शो ही है!

हम मुनि तरूण सागर को एक बात जरूर याद दिलादें कि 25 दिसम्बर, 2001 को बडी चौपड़ पर उन्होंने दम्भ से वहां जुटी भीड़ को कहा था कि मैं तुम से बदला लेने नहीं आया हूं, बल्कि तुम्हें बदलने आया हूं! अब मुनि जी ही बतायें कि जयपुर में कौन? और कब बदला! वैसे प्रवचनकर्ताओं का आचरण ही बदल गय हो तो कोई कुछ नहीं कह सकता है!

हम दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता के पाखण्ड और चातुर्मास के पावन अवसर पर इस पाखण्ड की आड में अपने स्वार्थों की पूर्ति करने वालों की परत-दर-परत जानकारी देने का पूरा प्रयास करेंगे। क्रमश:

 
AGRAGAMI SANDESH

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AGEAGAMI SANDESH

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