बिहार के बौद्ध गया क्षेत्र में धार्मिक स्थलों पर लगभग 10 कम शक्ति वाले धमाके हुए हैं। इन धमाकों के बारे में केंद्रीय ऐजेंसियों ने पहिले ही चेतावनी दे दी थी। हालांकि धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहुंचा है और जनहानि नहीं हुई है। लगभग पांच लोग घायल हुए हैं, जिनमें दो विदेशी बताये जाते हैं।
सवाल उठता है कि कम शक्ति वाले इतने धमाके धार्मिक स्थलों के आसपास करने के पीछे कारण क्या हो सकते हैं? धमाका करने वालों ने धमाकों के लिये सुबह साढ़े पांच बजे से छह बजे का समय चुना, जब श्रद्धालुओं की उपासना स्थलों और उनके आसपास भीड़ कम होती है। इसलिये यह तो साफ है कि घटना को अंजाम देने वालों के दिमाग में मंदिरों को नुकसान पहुंचाने या फिर जनहानि करने की कोई मंशा नहीं रही होगी! लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यह सिर्फ एक ट्रायल के रूप में किया गया हो और किसी अन्य स्थान पर बडी वारदात करने की कोई साजिश रची जा रही हो।
एक अहम सवाल यह भी है कि उत्तराखण्ड त्रासदी के बाद देश में धार्मिक आस्थाओं को हवा देने का जो क्रम चल रहा है, यह उसकी एक कडी हो! हमने छत्तीसगढ़ की जीरम घाटी के जख्मों को देखा। देश की सर्वोच्च जांच ऐजेंसी नेशनल इन्वेस्टीगेशन ऐजेंसी तुरत-फुरत जीरम घाटी जांच के लिये पहुंची थी, लेकिन आज तक एनआईए जीरम घाटी के सच को उजागर नहीं कर पाई। राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट की मिस्ट्री भी आज तक अनसुलझी है, एक भी दोषी को सजा नहीं मिल पाई!
ऐसा ऐहसास होने लगा रहा है कि कोई विदेशी-देशी ताकत या ताकतें देश में अस्थिरता का वातावरण पैदा करने की कोशिश में जुटी है। पाकिस्तान में भी इस ही तरह अस्थिरता का वातावरण बनाया गया था। इराक, लीबिया सहित अन्य देशों में भी अस्थिरता का वातावरण फैलाया जा चुका है या फिर फैलाने की साजिश रची जा रही है! क्या वे ताकतें ही भारत में अस्थिरता का वातावरण फैलाने में संलिप्त है।
जो भी हो, केंद्र और राज्य सरकारों को अपनी पुलिस और सुरक्षा ऐजेंसियों को चुस्त-दुरूस्त करना होगा ताकि आगे आने वाले खतरों से बचा जा सके। साथ ही देश में अस्थिरता फैलाने वालों को तलाश कर उन्हें सजा दिलाई जा सके।
सवाल उठता है कि कम शक्ति वाले इतने धमाके धार्मिक स्थलों के आसपास करने के पीछे कारण क्या हो सकते हैं? धमाका करने वालों ने धमाकों के लिये सुबह साढ़े पांच बजे से छह बजे का समय चुना, जब श्रद्धालुओं की उपासना स्थलों और उनके आसपास भीड़ कम होती है। इसलिये यह तो साफ है कि घटना को अंजाम देने वालों के दिमाग में मंदिरों को नुकसान पहुंचाने या फिर जनहानि करने की कोई मंशा नहीं रही होगी! लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यह सिर्फ एक ट्रायल के रूप में किया गया हो और किसी अन्य स्थान पर बडी वारदात करने की कोई साजिश रची जा रही हो।
एक अहम सवाल यह भी है कि उत्तराखण्ड त्रासदी के बाद देश में धार्मिक आस्थाओं को हवा देने का जो क्रम चल रहा है, यह उसकी एक कडी हो! हमने छत्तीसगढ़ की जीरम घाटी के जख्मों को देखा। देश की सर्वोच्च जांच ऐजेंसी नेशनल इन्वेस्टीगेशन ऐजेंसी तुरत-फुरत जीरम घाटी जांच के लिये पहुंची थी, लेकिन आज तक एनआईए जीरम घाटी के सच को उजागर नहीं कर पाई। राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट की मिस्ट्री भी आज तक अनसुलझी है, एक भी दोषी को सजा नहीं मिल पाई!
ऐसा ऐहसास होने लगा रहा है कि कोई विदेशी-देशी ताकत या ताकतें देश में अस्थिरता का वातावरण पैदा करने की कोशिश में जुटी है। पाकिस्तान में भी इस ही तरह अस्थिरता का वातावरण बनाया गया था। इराक, लीबिया सहित अन्य देशों में भी अस्थिरता का वातावरण फैलाया जा चुका है या फिर फैलाने की साजिश रची जा रही है! क्या वे ताकतें ही भारत में अस्थिरता का वातावरण फैलाने में संलिप्त है।
जो भी हो, केंद्र और राज्य सरकारों को अपनी पुलिस और सुरक्षा ऐजेंसियों को चुस्त-दुरूस्त करना होगा ताकि आगे आने वाले खतरों से बचा जा सके। साथ ही देश में अस्थिरता फैलाने वालों को तलाश कर उन्हें सजा दिलाई जा सके।