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बताओ हुजूरों-बताओ!

शर्म किसको आनी चाहिये? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को, मेयर ज्योति खण्डेलवाल को या फिर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह को!

जयपुर (अग्रगामी) जयपुर नगर निगम में सांप की तरह कुंडली जमाये बैठे भ्रष्ट, कमीशनखोर, नाकारा, निकम्मे अफसरों के ढोल की अब खुल गई है पोल! अब इन भ्रष्ट, बेईमानों की करतूतों पर शर्म किस को आनी चाहिये, राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री शांति धारीवाल को, सांसद महेश पारीक को, अतिरिक्त मुख्य सचिव गुरदयाल सिंह संधू को या फिर मेयर ज्योति खण्डेलवाल को!

बिना इजाजत गैरकानूनी रूप से जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिंदों की रहनुमाई में नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व में बने चार मंजिला अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री, म्युनिसिपल मकान नम्बर 2313, रामलाल का रास्ता, चौकड़ी विश्वेश्वरजी को गत 20 जून, 2013 को सीज किया जाना था। लेकिन नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव एवं अन्य रिश्वतखोर अफसरों के दबाव में आकर इन अवैध कॉमर्शियल निर्माणों पर जानबूझ कर कार्यवाही नहीं की गई।

नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के दफ्तर में गत 20 जून को प्रात: 8.00 बजे से भवन निर्माण शाखा का पूरा अमला एक जेसीबी और दो ट्रेक्टरों, तालों, सील चपडी और इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों को सील करने सम्बन्धी दस्तावेजों के साथ इन्तजार करता रहा कि कब जाप्ता आये और कब इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों को आगे ध्वस्त करने की कार्यवाही करने के लिये सील करने की कार्यवाही पूरी की जाये।

शर्मनाक स्थिति यह रही कि नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने 20 जून को पुलिस जाप्ता मुहैया करवाने के लिये नगर निगम के सतर्कता आयुक्त अनिल गोठवाल को समय रहते लिखित में अवगत करा दिया था। लेकिन सतर्कता आयुक्त द्वारा 20 जून, 2013 को दोपहर तक न तो जाप्ता उपलब्ध करवाया गया और न ही जोन आयुक्त को जाप्ता उपलब्ध करवाने या नहीं करवाने के बारे में कोई जानकारी ही दी गई।

इन पंक्तियों के लेखक ने इस सम्बन्ध में जब नगर निगम के सतर्कता विभाग के निरीक्षक दिनेश शर्मा से 20 जून, 2013 को प्रात: 9.09 बजे मोबाईल पर सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि कृपया इस सम्बन्ध में सतर्कता आयुक्त अनिल गोठवाल से सम्पर्क करें, वे ही आपको जानकारी दे सकेंगे। जब नगर निगम के सतर्कता आयुक्त से प्रात: 9.14 बजे सम्पर्क किया गया, तब उन्होंने बताया कि इस हेतु फोर्स ही जरूरत है। सम्बन्धित पुलिस थाना, एसीपी, पुलिस लाइन्स से जाप्ते एवं अधिकारियों की जरूरत पड़ेगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या आज सीज करने के लिये जाप्ता उपलब्ध हो जायेगा तो उन्होंने यह कहते हुए कि मैं स्थानीय पुलिस से सम्पर्क में हूं और कुछ ज्यादा बताने की स्थिति में नहीं हूं, फोन बंद कर दिया!

सवाल उठता है कि जब जोन आयुक्त ने 20 जून, 2013 को इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों को सीज करने के लिये लिख कर जाप्ते की मांग की थी तो उन्हें वक्त रहते 19 जून तक क्यों नहीं बताया गया कि इस हेतु उन्हें 20 जून, 2013 को निर्धारित समय पर पुलिस जाप्ता मिलेगा या नहीं!

हम यहां यह बता दें कि जयपुर नगर निगम में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एक पुलिस निरीक्षक, तीन उपनिरीक्षकों सहित 50 से अधिक पुलिसकर्मी पुलिस विभाग से प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनमें से कई पुलिसकर्मियों को गैरकानूनी तरीके से नगर निगम की मैयर और सीईओ सहित कुछ अधिकारियों के यहां बतौर पीएसओ तथा उनके कार्यालय में लगाये गये हैं। जबकि अवैध अतिक्रमणों पर कार्यवाही के लिये बहानेबाजी कर जाप्ता उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।

ऐसा नहीं है कि यह पहिली बार हुआ है। पूर्व में भी बार-बार जाप्ते के उपलब्ध नहीं होने का बहाना बना कर इन अवैध निर्माणों को सीज कर ध्वस्त करने की कार्यवाही नहीं की जा रही है।

राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 एवं 245 में अवैध निर्माणों पर कार्यवाही नहीं करने वाले दोषी अफसरों और कर्मचारियों पर कार्यवाही का भी प्रावधान है, लेकिन नगर निगम आकाओं द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही है।

ज्ञातव्य रहे कि गत वर्ष 9 नवम्बर, 2012 को अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री को सीज कर दिया था। लेकिन सारे नियम-कानूनों को तक में रख कर जयपुर नगर निगम के सीईओ ने इस की सील खुलवा दी थी। तब नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल पर दस लाख रूपये नजराने के लेने के आरोप लगे थे। उसके बाद मामला अदालत में गया और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के दरबार में भी गया। लेकिन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स निर्माताओं को कोई राहत नहीं मिली। लेकिन जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव एवं नगर निगम के मुख्यालय पर बैठे भ्रष्ट अफसर मलाई चाटने के चक्कर में इन अवैध कॉमर्शियल निर्माणों के खिलाफ कार्यवाही करने में अडंगे डाल रहे हैं। जयपुर नगर निगम के दफ्तर में मौजूद दस्तावजेज इसके साक्षी हैं!

 
AGRAGAMI SANDESH

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