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साध्वी प्रगुणाश्री हादसे से क्या बचा जा सकता था?

गत दिनों शनिवार को एक ट्रक ट्रोले के पलट जाने और ट्रोले के पिछले हिस्से के नीचे दब जाने के कारण साध्वी प्रगुणाश्री का देहान्त हो गया था। बावेल में पुलिस की औपचारिकता और पोस्टमार्टम क्रिया होने के बाद रविवार को दोपहर एक बजे साध्वी प्रेरणाश्री एवं अन्य महिलाओं को एक वाहन से रवाना करने के कुछ मिनट बाद ही जैसा कि हमने पिछले अंक में बताया था, साध्वी प्रगुणाश्री के पार्थिव शरीर को लेकर श्रावक जयपुर शिवजीराम भवन पहुंचे। इस दु:ख की बेला में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ का एक भी पदाधिकारी दुर्घटना स्थल पर नहीं पहुंचा! आखीर क्यों? यह सवाल अभी अनुत्तरित है!

साध्वी प्रगुणाश्री का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो या फिर जयपुर में! इस पर भी काफी जद्दोजेहद रही और अन्त: साध्वी प्रगुणाश्री के सांसारिक पितृपक्ष एवं ननिहाल पक्ष के दबाव के चलते अंतिम संस्कार जयपुर में हुआ! रविवार 16 जून को जब दोपहर लगभग 1.15 बजे साध्वी प्रगुणाश्री का पार्थिव शरीर लेकर श्रावक जयपुर रवाना हुए तब श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के कौन-कौन पदाधिकारी दुर्घटना स्थल से उनके साथ जयपुर आये, बतायेंगे संघ के अध्यक्ष माणकचंद गोलेछा?

शिवजीराम भवन के नाम से बनाये गये ब्लाग पर भी साध्वी प्रगुणाश्री का स्वर्गवास शनिवार जून 15, 2013, 11.01पीएम शीर्षक से साया की गई पोस्ट के अन्त में उन्हें श्रद्धांजलि तो दी गई, लेकिन उनके अंतिम संस्कार के बारे में कोई उल्लेख ही नहीं था! इस पोस्ट से भी साफ हो जाता है कि जयपुर के माणकचंद गौलेछा की अगुआई वाले श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के पदाधिकारियों के दिमाग में साध्वीश्री का जयपुर में अंतिम संस्कार करने का कोई सोच ही नहीं था और पितृ एवं ननिहाल पक्ष की स्पष्ट चंतावनी के बाद ही दाहसंस्कार जयपुर में हो पाया। इस मुद्दे पर भी हकीकत उजागर करने की जुम्मेदारी संघ अध्यक्ष माणकचंद गोलेछा की ही है। एक बात ओर, इन पंक्तियों के लेखक के पास भी कुछ अहम जानकारियां हैं जो संघ पदाधिकारियों को विचलित कर सकती है।

हम ब्लाग शिवजीराम भवन पर कंडोलेंस ऑफ साध्वी प्रगुणाश्री एट विचक्षण भवन शीर्षक से पोस्ट की गई जानकारी जिस के पैरा दो की अंतिम लाइन में लिखा है कि खरतरगच्छ संघ आर्गेनाइज्ड हर फ्युनरल एण्ड फ्युनरल प्रोसेशन ऑफ जून 16 इवनिंग! पर भी चर्चा करना चाहेंगे।

आखीर ब्लाग शिवजीराम भवन पर यह पोस्ट करने की जरूरत क्यों और कैसे आन पड़ी कि साध्वीश्री के दाहसंस्कार और दाहसंस्कार प्रोसेशन की व्यवस्था खरतरगच्छ संघ ने की? यह सर्वविदित है कि किसी भी समुदाय के धर्म गुरू के परलोकगमन पर उन धर्मगुरू के दाहसंस्कार की नैतिक जुम्मेदारी उसी समुदाय की होती है जिससे वे जुड़े होते हैं। साध्वी प्रगुणाश्री खरतरगच्छ संघ समुदाय की थी और खरतरगच्छ संघ की यह नैतिक जुम्मेदारी थी और है कि वह अपने धर्मगुरू के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करें! लेकिन ब्लाग पर साया इन शब्दों की हकीकत का खुलासा हम सही समय पर विस्तार से करेंगे कि आखीर ब्लाग पर इस तरह की भाषा का क्यों उपयोग किया गया?

शर्मनाक स्थिति तो यह रही की हमारी आदरणीय साध्वी का अंतिम संस्कार आदर्श नगर मोक्षधाम में किया गया। हकीकत में साध्वीश्री का अंतिम संस्कार मौनबाडी (मौहनबाडी) में किया जाना चाहिये था। पिछली एक शताब्दी (सौ साल से) हमारे धर्मगुरूओं का दाहसंस्कार मौनबाडी (मौहनबाडी) में होता आया है। महोपाध्याय शिवजीराम जी, साध्वी पुण्यश्री, आचार्य जिनचंद्र सूरि, आचार्य जिन धरर्णेन्द्रसूरि सहित जयपुर में देवलोकगमन हुए जैन धर्मगुरूओं का दाह संस्कार मौनबाडी (मोहनबाडी) में हुआ है, लेकिन मौनबाडी को धर्म की आड़ में कॉमर्शियल हब बनाने में जुटे सेठों और उनके पिठ्ठुओं ने मौनबाडी को अपनी बपौती मान कर हमारे धर्मगुरूओं का अपमान करने के लिये आदर्श नगर श्मशान में उनका दाहसंस्कार करवाना शुरू कर दिया।

एक ओर शर्मनाक पहलू पर हम खरतरगच्छ समुदाय का ध्यानाकर्षण करवाना चाहेंगे। जब खरतरगच्छ संघ की साध्वियां पैदल विहार करती हैं तब जहां से से विहार प्रारम्भ करती है वहां से गंतव्य तक उन्हें सकुशल पहुंचाने की जुम्मेदारी उस समाज संघ की होती है जहां से उन्होंने विहार प्रारम्भ किया हो! साध्वी प्रगुणाश्री ने मालपुरा से दिल्ली (चांदनी चौक) हेतु विहार किया था। ऐसी स्थिति में मालपुराप से जयपुर-दिल्ली तक उन्हें सुरक्षा मुहैय्या करवाने की जुम्मेदारी जयपुर के श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की थी। क्या संघ के पदाधिकारियों ने ये जुम्मेदारी निभाई? अगर नहीं तो क्यों? यह स्पष्ट है कि अगर जयपुर खरतरगच्छ संघ ने अपना दायीत्व निभाया होता तो शायद इस हादसे से बचा जा सकता था! हम इन मुद्दों और इनसे जुड़े अन्य तथ्यों पर आगे चर्चा करेंगे। (क्रमश:)

 
AGRAGAMI SANDESH

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