भ्रष्टाचार, गबन, घोटालों से घिरी केंद्र की यूनीएनीत कांग्रेस की अगुआई वाली डॉ.मनमोहन ङ्क्षसह की सरकार कब धराशप हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता है। भ्रष्टाचार के लगभग एक दर्जन से ज्यादा आरोपों को झेल रही डॉ.मनमोहन सिंह सरकार पर कोयला घोटाले के सम्बध में सीबीआई की रिपोर्ट में अहम बदलाव करवाने के आरोप सही साबित हो गये हैं। इस कोलगेट कांड़ के साथ ही रेलमंत्री पवन बंसल के भांजे से जुडे रिश्वत काण्ड के उजागर होने से डॉ.मनमोहन सिंह सरकार पूरी तरह हिल चुकी है। हालांकि रेलमंत्री पवन बंसल ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है, लेकिन रेलगेट कांड़ डॉ.मनमोहन सिंह और कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहा है।
उधर कानून मंत्री अश्वनी कुमार पर भी गाज गिर गई है। लेकिन चूंकि कोलगेट कांड़ में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जिस तरह लिप्त हैं, उसे देखते हुए अश्वनी कुमार का इस्तीफा नहीं लिया जा रहा था, ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी में ही दो फाड नजर आने लगी। पक्ष में डॉ.मनमोहन सिंह और विपक्ष में सोनिया गांधी के खडे होने से बीच का रास्ता यह निकालने की तैयारी की जा रही थी, कि मंत्रिमण्डल में एक फेरबदल एक-दो दिन में कर अश्वनी कुमार का विभाग बदल दिया जाये! लेकिन आखीरकार उन्हें चलता कर दिया गया।
कर्नाटक में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद वहां नेतृत्व के लिये नेताओं ने धमाचौकडी मचा रखी है और अगर सोनिया गांधी सिद्वारमय्या को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाना चाहती है तो उन्हें कर्नाटक के कुछ नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमण्डल में जगह देनी होगी अथवा कर्नाटक के जो नेता अभी केंद्रीय मंत्रिमण्डल में हैं, उनका कद ऊंचा करना होगा। ऐसी स्थिति में केंद्रीय मंत्रिमण्डल में फेरबदल आवश्यक हो गया है। इस ही तरह आगामी आम चुनावों के मद्देनजर भी केंद्रीय मंत्रिमण्डल में बदलाव जरूरी है। उधर अगर कांग्रेस मध्यावधि चुनावों में जाने के लिये तैयार होती है तो भी चुनावों की घोषणा से पहिले अन्तिमबार केंद्रीय मंत्रिमण्डल में फेरबदल करना ही होगा। अत: केंद्रीय मंत्रिमण्डल का अगले कुछ ही समय में फेरबदल होना लगभग तैय है।
अब देखना यही है कि सिर्फ मंत्रिमण्डल में फेरबदल होता है या फिर इस ही के साथ मध्यावधि चुनावों की घोषणा भी होती है या नहीं!
उधर कानून मंत्री अश्वनी कुमार पर भी गाज गिर गई है। लेकिन चूंकि कोलगेट कांड़ में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जिस तरह लिप्त हैं, उसे देखते हुए अश्वनी कुमार का इस्तीफा नहीं लिया जा रहा था, ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी में ही दो फाड नजर आने लगी। पक्ष में डॉ.मनमोहन सिंह और विपक्ष में सोनिया गांधी के खडे होने से बीच का रास्ता यह निकालने की तैयारी की जा रही थी, कि मंत्रिमण्डल में एक फेरबदल एक-दो दिन में कर अश्वनी कुमार का विभाग बदल दिया जाये! लेकिन आखीरकार उन्हें चलता कर दिया गया।
कर्नाटक में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद वहां नेतृत्व के लिये नेताओं ने धमाचौकडी मचा रखी है और अगर सोनिया गांधी सिद्वारमय्या को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाना चाहती है तो उन्हें कर्नाटक के कुछ नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमण्डल में जगह देनी होगी अथवा कर्नाटक के जो नेता अभी केंद्रीय मंत्रिमण्डल में हैं, उनका कद ऊंचा करना होगा। ऐसी स्थिति में केंद्रीय मंत्रिमण्डल में फेरबदल आवश्यक हो गया है। इस ही तरह आगामी आम चुनावों के मद्देनजर भी केंद्रीय मंत्रिमण्डल में बदलाव जरूरी है। उधर अगर कांग्रेस मध्यावधि चुनावों में जाने के लिये तैयार होती है तो भी चुनावों की घोषणा से पहिले अन्तिमबार केंद्रीय मंत्रिमण्डल में फेरबदल करना ही होगा। अत: केंद्रीय मंत्रिमण्डल का अगले कुछ ही समय में फेरबदल होना लगभग तैय है।
अब देखना यही है कि सिर्फ मंत्रिमण्डल में फेरबदल होता है या फिर इस ही के साथ मध्यावधि चुनावों की घोषणा भी होती है या नहीं!