अग्रगामी संदेश हिन्‍दी साप्ताहिक ***** प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित एवं प्रसारित ***** सटीक राजनैतिक विश्लेषण, लोकहित के समाचार, जनसंघर्ष का प्रहरी

अगडों की जुम्मेदारी है जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलवाने की!

हमने अपने पिछले अंकों में लिखा था कि जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का संवैधानिक दर्जा दिलाने का विरोध करने वाले या तो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुडे हिन्दूवादी विचारधारा के लोग हैं या फिर टैक्स चोर जौहरी, बिल्डर माफिया, भू-माफिया पूंजीपति इजारेदार और उनके दुमछल्ले हैं, जो ज्यादातर जैन श्वेताम्बर समुदाय से आते हैं। इन भ्रष्ट तत्वों ने जैन समुदाय में अमीर और गरीब की रेखा खेंच कर समाज को अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिये विभाजित कर दिया है।

जैन समुदाय के प्रबुद्ध वर्ग के साथ-साथ पीडि़त, शोषित मध्यम एवं निम्र मध्यम वर्ग तथा समाज के ही गरीब तकबे को याद है कि 29 अप्रेल, 2009 को जयपुर के सी-स्कीम स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन सीनियर सैकण्डरी स्कूल प्रांगण में तथाकथित जैन चेतना मंच के बैनर तले जैन समुदाय की एक बैठक कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी (अब चुनिन्दा सांसद) के पक्ष में वोट बटोरने के लिये की गई थी।

इस संस्था के अध्यक्ष का नाम सुमेर सिंह बोथरा बताया गया था। ये वही सुमेर सिंह बोथरा हैं जिन्होंने पिछले महिने नवनियुक्त लोकायुक्त को एक फार्म हाऊस में दावत दी थी। जी हां, ये वही सुमेर सिंह बोथरा हैं जो 1500 करोड़ रूपये की सम्पत्ति वाली श्री स्थानकवासी जैन सुबोध शिक्षा समिति से जुडी शिक्षण संस्थाओं से सम्बन्धित एक मामले में जमानत करवा कर अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। इनके एक सहयोगी एवं पूंजीपति नवरत्नमल कोठारी बहुचर्चित जलमहल प्रकरण में उलझे हैं और अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। वे भी 29 अप्रेल, 09 की बोथरा द्वारा जैन चेतना मंच के माध्यम से बुलाई गई बैठक में मंचासीन थे। पिछले दिनों आयकर विभाग ने 92 करोड़ रूपये से अधिक की अघोषित आय पकडी! जिन बिल्डरों, जवाहरात के व्यवसाइयों से यह अघोषित आय पकडी गई थी वे भी जैन समुदाय की इस आमसभा में मंचासीन या मंच के इर्दगिर्द रहे!

सेठी, सुराना, बरडिया और न जाने कितने पूंजीपति मंच के ऊपर और मंच के आसपास मंडरा रहे थे, उसी समय महेश जोशी ने मंच से जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करने में आ रही दिक्कतों का जिक्र कर उन्हें दूर करने तथा जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करवाने का आश्वासन दिया था। चार साल बीत जाने के बावजूद उनका आश्वासन अभी तक अधूरा है!

अब श्वेताम्बर जैन समुदाय के इन टैक्स चोरों, भूमाफियाओं, बिल्डरों, पूंजीपतियों-सरमायेदारों से हमारा सवाल है कि क्या उन्हें अपने स्वार्थों की पूर्ति के अलावा कुछ नजर आता है? क्यों जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का संवैधानिक दर्जा दिलवाने के लिये उनकी जबान नहीं खुल रही है? क्या अपने हितों की रक्षा के लिये ही वे जैन समुदाय का अगडा बनने का दम भरते हैं? अगर ऐसा है तो शर्मनाक है! अगर वे समग्र जैन समुदाय के हितों का संरक्षण नहीं कर सकते हैं तो जैन समुदाय का अगडा बनने का वे किसी भी स्तर पर कोई हक नहीं रखते हैं। अब भी इन समाज के स्वंयभूं अगडों को चेत जाने का वक्त है, क्योंकि इसके बाद तो इनके पछताने का सिलसिला चालू होने वाला है!

 
AGRAGAMI SANDESH

AGRAGAMI SANDESH
AGEAGAMI SANDESH

मुख्‍य पृष्‍ठ | जयपुर संस्‍करण | राज्‍य समाचार | देश समाचार | विज्ञापन दर | सम्‍पर्क