जयपुर (अग्रगामी) जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों और कारिन्दों की मिलीभगत से जवाहरात व्यवसायी और बिल्डर माफिया अपने कालेधन से राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित टारगेटेड शहरों में अपने कालेधन से गैर कानूनी अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने में जुटे हैं और आयकर, सर्विस टैक्स, रजिस्ट्री शुल्क और नामान्तरण व भू-रूपान्तरण टैक्सों की धडल्ले से चोरी कर रहे हैं।
सवाल उठता है कि इन टैक्स चोरों को पकड कर इनके नाम उजागर क्यों नहीं किये जाते? अगर जेबकतरा किसी व्यक्ति की जेब से सौ रूपये निकाल लेता है तो उसे जेल जाने की सजा भुगतनी पड़ती है और अवाम के सामने उसका नाम इस तरह उजागर किया जाता है जैसे वे ही देश का सबसे बड़ा गुनाहगार है। लेकिन टैक्स चोरी कर सरकारी खजाने में करोड़ों की सेंध मारने वाले बड़े डकैतों के नाम उजागर करने में सरकारी महकमों के अफसरों को शायद शर्म आती है और कानून का घूंघट ओढ़ कर टैक्स चोर बड़े डकैतों के नाम उजागर नहीं किये जाते हैं।
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी कामरेड़ हीराचंद जैन ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), रेवेन्यू इन्टेलीजेन्स विभाग, आयकर विभाग, सेन्ट्रल कस्टम एण्ड एक्साइज रिपार्टमेंट सहित राजस्व वसूली में लगे शासकीय विभागों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में बैठे उनके आकाओं से सवाल किया है कि करोड़ों रूपये की टैक्स चोरी करते हुए पकड़े जाने वाले टैक्स चोरों के नाम क्यों नहीं उजागर किये जा रहे हैं। इसके पीछे असली राज क्या है? उन्होंने सवाल किया कि पिछले कुछ महिनों पूर्व टौंक रोड़ स्थित मोतीसंस समूह पर पड़े छापे में लगभग 81 करोड़ रूपये का सरण्डर हुआ था। अब आईपीएल फिक्सिंग में भी इस समूह का नाम आ रहा है। इस ही तरह होटल व्यवसाई डंगायच ग्रुप के यहां भी 70 करोड़ की अघोषित आय मिली थी।
पिछले महिनों ही गोवर्धन दास झंवर ग्रुप पर भी आयकर विभाग का छापा पड़ा था। करोड़ों की अघोषित आय बरामद हुई थी। इस ग्रुप की जयपुर स्थित 2055, रामलला का रास्ता और 1135, मिश्रराजा जी का रास्ता में जयपुर नगर निगम की बिना इजाजत तामीर बनाई गई अवैध कामर्शियल बिल्डिंगों में लगाया गया कालाधन शायद इन्कम टैक्स अफसरों की नजर में नहीं आया लगता है। अगर आयकर विभाग इन टैक्स चोरों की हकीकत अवाम के सामने उजागर कर देता तो करोड़ों की अतिरिक्त काली कमाई का ओर भी खुलासा हो जाता!
कालाबाजारिये, जवाहरात व्यवसाई, भूमाफिया राजधानी जयपुर में सबसे बड़े टैक्स चोर हैं। ये अपनी काली कमाई और कालेधन को अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण में लगा रहे हैं जिनके निर्माण की इजाजत तक जेडीए और जयपुर नगर निगम ने नहीं दी है। लेकिन जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिन्दों के साथ मिल कर गैरकानूनी तरीके से इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों का निर्माण हो रहा है और जौहरी और भू-माफिया इन अवैध निर्माणों का अवैध बेचान कर करोड़ों रूपये का कालाधन कमा रहे हैं।
यही नहीं, ये टैक्स चोर भू-माफिया सिर्फ आयकर की चोरी ही नहीं करते हैं बल्कि सर्विस टैक्स और भवन बेचान की रजिस्ट्री पर लगने वाले टैक्स की भी चोरी कर रहे हैं। अकेले जयपुर नगर निगम क्षेत्र में ही पिछले एक साल में रीयल स्टेट से जुडे भू-माफियाओं ने सर्विस टैक्स, बेचान पर रजिस्ट्री शुल्क और आयकर की लगभग एक हजार करोड़ रूपये की टैक्स चोरी जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्ट अफसरों और कारिन्दों की मिलीभगत से की बताई जाती है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व एवं हवामहल जोन पश्चिम में भू-माफियाओं और बिल्डरों ने जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों और कारिन्दों से मिलीभगत कर भू-रूपान्तरण एवं नामान्तरण के पेटे निगम को मिलने वाले सौ करोड़ रूपये से अधिक की राशि का भुगतान नहीं कर जयपुर नगर निगम को मोटा चूना लगाया है। वहीं आयकर व सर्विस टैक्स की चोरी अलग से! ज्ञातव्य रहे कि जयपुर नगर निगम क्षेत्र में जब तक भवन क्रेता भवन का अपने नाम से निगम में नामान्तरण नहीं करवा लेता है और इस हेतु निर्धारित शुल्क जमा नहीं करा देता है तब तक उसे भवन निर्माण, भवन में रद्दोबदल आदि की स्वीकृति दिये जाने पर पाबन्दी है।
साथ ही जयपुर नगर निगम के चार दिवारी क्षेत्र में अगर गैर कानूनी तरीके से अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बना लिये जाते हैं तो इनका केस कम्पउण्ड भी नहीं हो सकता है। ऐसे में अवैध निर्माण सिर्फ जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिन्दों की शह पर ही हो सकता है। हालांकि जयपुर नगर निगम के इन भ्रष्ट कारिन्दों की करतूतों से सरकार को आयकर, सेवाकर, रजिस्ट्री शुल्क, नामान्तरण शुल्क के करोड़ों रूपये का चूना लग रहा है। लेकिन भ्रष्टाचारियों को इन से क्या लेना देना! क्योंकि वे जानते हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर सकता! ज्यादा से ज्यादा कार्यवाही हुई भी तो निलम्बित होकर कार्यवाही की इतिश्री हो जायेगी और या फिर तबादला हो जायेगा! कुछ दिनों बाद सबकुछ वापस वैसे का वैसा ही?
सवाल उठता है कि इन टैक्स चोरों को पकड कर इनके नाम उजागर क्यों नहीं किये जाते? अगर जेबकतरा किसी व्यक्ति की जेब से सौ रूपये निकाल लेता है तो उसे जेल जाने की सजा भुगतनी पड़ती है और अवाम के सामने उसका नाम इस तरह उजागर किया जाता है जैसे वे ही देश का सबसे बड़ा गुनाहगार है। लेकिन टैक्स चोरी कर सरकारी खजाने में करोड़ों की सेंध मारने वाले बड़े डकैतों के नाम उजागर करने में सरकारी महकमों के अफसरों को शायद शर्म आती है और कानून का घूंघट ओढ़ कर टैक्स चोर बड़े डकैतों के नाम उजागर नहीं किये जाते हैं।
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी कामरेड़ हीराचंद जैन ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), रेवेन्यू इन्टेलीजेन्स विभाग, आयकर विभाग, सेन्ट्रल कस्टम एण्ड एक्साइज रिपार्टमेंट सहित राजस्व वसूली में लगे शासकीय विभागों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में बैठे उनके आकाओं से सवाल किया है कि करोड़ों रूपये की टैक्स चोरी करते हुए पकड़े जाने वाले टैक्स चोरों के नाम क्यों नहीं उजागर किये जा रहे हैं। इसके पीछे असली राज क्या है? उन्होंने सवाल किया कि पिछले कुछ महिनों पूर्व टौंक रोड़ स्थित मोतीसंस समूह पर पड़े छापे में लगभग 81 करोड़ रूपये का सरण्डर हुआ था। अब आईपीएल फिक्सिंग में भी इस समूह का नाम आ रहा है। इस ही तरह होटल व्यवसाई डंगायच ग्रुप के यहां भी 70 करोड़ की अघोषित आय मिली थी।
पिछले महिनों ही गोवर्धन दास झंवर ग्रुप पर भी आयकर विभाग का छापा पड़ा था। करोड़ों की अघोषित आय बरामद हुई थी। इस ग्रुप की जयपुर स्थित 2055, रामलला का रास्ता और 1135, मिश्रराजा जी का रास्ता में जयपुर नगर निगम की बिना इजाजत तामीर बनाई गई अवैध कामर्शियल बिल्डिंगों में लगाया गया कालाधन शायद इन्कम टैक्स अफसरों की नजर में नहीं आया लगता है। अगर आयकर विभाग इन टैक्स चोरों की हकीकत अवाम के सामने उजागर कर देता तो करोड़ों की अतिरिक्त काली कमाई का ओर भी खुलासा हो जाता!
कालाबाजारिये, जवाहरात व्यवसाई, भूमाफिया राजधानी जयपुर में सबसे बड़े टैक्स चोर हैं। ये अपनी काली कमाई और कालेधन को अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के निर्माण में लगा रहे हैं जिनके निर्माण की इजाजत तक जेडीए और जयपुर नगर निगम ने नहीं दी है। लेकिन जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिन्दों के साथ मिल कर गैरकानूनी तरीके से इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों का निर्माण हो रहा है और जौहरी और भू-माफिया इन अवैध निर्माणों का अवैध बेचान कर करोड़ों रूपये का कालाधन कमा रहे हैं।
यही नहीं, ये टैक्स चोर भू-माफिया सिर्फ आयकर की चोरी ही नहीं करते हैं बल्कि सर्विस टैक्स और भवन बेचान की रजिस्ट्री पर लगने वाले टैक्स की भी चोरी कर रहे हैं। अकेले जयपुर नगर निगम क्षेत्र में ही पिछले एक साल में रीयल स्टेट से जुडे भू-माफियाओं ने सर्विस टैक्स, बेचान पर रजिस्ट्री शुल्क और आयकर की लगभग एक हजार करोड़ रूपये की टैक्स चोरी जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्ट अफसरों और कारिन्दों की मिलीभगत से की बताई जाती है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व एवं हवामहल जोन पश्चिम में भू-माफियाओं और बिल्डरों ने जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों और कारिन्दों से मिलीभगत कर भू-रूपान्तरण एवं नामान्तरण के पेटे निगम को मिलने वाले सौ करोड़ रूपये से अधिक की राशि का भुगतान नहीं कर जयपुर नगर निगम को मोटा चूना लगाया है। वहीं आयकर व सर्विस टैक्स की चोरी अलग से! ज्ञातव्य रहे कि जयपुर नगर निगम क्षेत्र में जब तक भवन क्रेता भवन का अपने नाम से निगम में नामान्तरण नहीं करवा लेता है और इस हेतु निर्धारित शुल्क जमा नहीं करा देता है तब तक उसे भवन निर्माण, भवन में रद्दोबदल आदि की स्वीकृति दिये जाने पर पाबन्दी है।
साथ ही जयपुर नगर निगम के चार दिवारी क्षेत्र में अगर गैर कानूनी तरीके से अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बना लिये जाते हैं तो इनका केस कम्पउण्ड भी नहीं हो सकता है। ऐसे में अवैध निर्माण सिर्फ जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिन्दों की शह पर ही हो सकता है। हालांकि जयपुर नगर निगम के इन भ्रष्ट कारिन्दों की करतूतों से सरकार को आयकर, सेवाकर, रजिस्ट्री शुल्क, नामान्तरण शुल्क के करोड़ों रूपये का चूना लग रहा है। लेकिन भ्रष्टाचारियों को इन से क्या लेना देना! क्योंकि वे जानते हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर सकता! ज्यादा से ज्यादा कार्यवाही हुई भी तो निलम्बित होकर कार्यवाही की इतिश्री हो जायेगी और या फिर तबादला हो जायेगा! कुछ दिनों बाद सबकुछ वापस वैसे का वैसा ही?