गत गुरूवार को जयपुर के सांगानेर इलाके में एक मोटर साइकल को पार्क करने के मामूली से विवाद ने दो समुदायों के भयंकर झगड़े का रूप ले लिया।
सारे फसाद की जड़ है, अवैध हटवाड़ा! पिछले पांच-छह महिनों से जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों और कारिंदों तथा स्थानीय छुटभैय्या नेताओं की लेन-देन की नीति के चलते यह अवैध हटवाडा दिन-प्रतिदिन पनपता रहा। यह समझ के परे है कि जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिंदों को बार-बार शिकायत करने के बावजूद इस अवैध हटवाडे पर अंकुश क्यों नहीं लगाया गया?
इसके साथ-साथ क्षेत्र में खुले में कबाड़, खास कर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर इकठ्ठे किये गये कबाड़ एवं खाली बोतलों के गैरकानूनी भण्डारण करने वाले कबाडिय़ों के खिलाफ नगर निगम के अफसर अगर समय रहते सख्त कार्यवाही करते तो उपद्रवियों को कांच की बोतल जैसी मिसाइलें हाथ नहीं लगती और स्थिति इतनी गम्भीर नहीं होती!
शर्मनाक स्थिति यह भी रही कि इलाके के चुनिन्दा जनप्रतिनिधि भूमिगत हो गये और विधायक को बैरंग लौटा दिया गया।
एक मोटर साइकल की पार्किंग का विवाद बढ़ कर साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाडऩे काकारण बन जाये, यह अत्यन्त गम्भीर मामला है। इस पर हमें गम्भीरता से सोचना होगा।
लेकिन एक बात साफ हो गई है कि जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्ट अफसर और कारिंदे अगर अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभाते और अवैध हटवाडे के खिलाफ कार्यवाही करते तो इस तरह की हादसे होने की नौबत नहीं आती।
क्या प्रशासन इस प्रकरण में दोषी जयपुर नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करेगा? देखना यही है!
सारे फसाद की जड़ है, अवैध हटवाड़ा! पिछले पांच-छह महिनों से जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों और कारिंदों तथा स्थानीय छुटभैय्या नेताओं की लेन-देन की नीति के चलते यह अवैध हटवाडा दिन-प्रतिदिन पनपता रहा। यह समझ के परे है कि जयपुर नगर निगम के अफसरों और कारिंदों को बार-बार शिकायत करने के बावजूद इस अवैध हटवाडे पर अंकुश क्यों नहीं लगाया गया?
इसके साथ-साथ क्षेत्र में खुले में कबाड़, खास कर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर इकठ्ठे किये गये कबाड़ एवं खाली बोतलों के गैरकानूनी भण्डारण करने वाले कबाडिय़ों के खिलाफ नगर निगम के अफसर अगर समय रहते सख्त कार्यवाही करते तो उपद्रवियों को कांच की बोतल जैसी मिसाइलें हाथ नहीं लगती और स्थिति इतनी गम्भीर नहीं होती!
शर्मनाक स्थिति यह भी रही कि इलाके के चुनिन्दा जनप्रतिनिधि भूमिगत हो गये और विधायक को बैरंग लौटा दिया गया।
एक मोटर साइकल की पार्किंग का विवाद बढ़ कर साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाडऩे काकारण बन जाये, यह अत्यन्त गम्भीर मामला है। इस पर हमें गम्भीरता से सोचना होगा।
लेकिन एक बात साफ हो गई है कि जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्ट अफसर और कारिंदे अगर अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभाते और अवैध हटवाडे के खिलाफ कार्यवाही करते तो इस तरह की हादसे होने की नौबत नहीं आती।
क्या प्रशासन इस प्रकरण में दोषी जयपुर नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करेगा? देखना यही है!