जयपुर (अग्रगामी) जी हां, यह हकीकत है कि धर्म के ठेकेदारों द्वारा धर्म स्थल पर गैरकानूनी कब्जा जमाने और उसकों किराये पर उठाने के लिये उसके मूल स्वरूप को ही बदल दिया गया। शर्मनाक स्थिति यह भी है कि जिस चमत्कारी मण्डोवरा गद्दी तथा हृंकार मंत्र के कारण जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ परम्परा की मण्डोवरा गद्दी प्रदेश-देश में विख्यात रही है, उस गद्दी को भी खुर्दबुर्द कर दिया गया है और चमत्कारी मंत्र के वास्तु से भी गम्भीर छेड़छाड़ की गई है। पुरा सम्पदा की श्रेणी में आने वाले इस भवन के वास्तु से छेड़छाड़ गम्भीर अपराध भी है।
जयपुर के कुंदीगर भैंरू के रास्ते में स्थित श्री पुज्य जी के उपाश्रय में स्थित श्री जैन श्वेताम्बर मण्डोवरा परम्परा की इस गद्दी को उसके स्थापित मूल स्थान से हटा दिया गया है। यही नहीं इस गद्दी के मूल स्थान के पास स्थापित एकान्त साधना कक्ष को भी जमींदोज कर दिया गया है और इस मण्डोवरा गद्दी के आचार्य के कक्ष में भैंरव की प्रतिमा को प्रथम मंजिल से हटा कर लगा दिया गया है। ताकि पूंजीपति जौहरी किरायेदारों को सहुलियत मिल सके। जबकि धार्मिक रूप से यह अत्यन्त आपत्तिजनक है।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ परम्परा की मण्डोवरा गद्दी को खुर्दबुर्द करने के साथ-साथ इस गद्दी के उपाश्रय के बाहरी स्वरूप के साथ गम्भीर छेड़छाड़ की गई है नतीजन श्रीपूज्य जी महाराज के बड़े उपासरे के बाहरी स्वरूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया गया है। नतीजन उपाश्रय के मुख्य द्वारा पर स्थापित हृंकार मंत्र का औचित्य भी लगभग समाप्त हो गया है।
अवैध कब्जाधारियों पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़, सुशील कुमार बुरड़ और उनके सहयोगियों ने आखीर मण्डोवरा गद्दी को क्यों खुर्दबुर्द करवाया, उपाश्रय के बाहरी स्वरूप को बिगाड़ व वास्तुदोष पैदा कर मुख्य दरवाजे पर स्थित चमत्कारी यन्त्र को क्यों निष्फल करने की साजिश रची हम इस पूरे मामले में आगे महत्वपूर्ण खुलासे करेंगे। लेकिन इससे पहिले हम इनकी करतूतों की असलियत की कथा बतायेंगे।
श्री जैन श्वेताम्बर परम्परा की मण्डोवरा शाखा के इस श्रीपूज्य जी के उपाश्रय की प्रथम मंजिल बिना इजाजत गैरकानूनी निर्माण करा कर अवैध रूप से व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने के मामले में जिला कलक्टर जयपुर, उपजिला मजिस्ट्रेट जयपुर तथा जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त द्वारा की जा रही जांच के क्रम में जयपुर नगर निगम द्वारा जारी नोटिसों के मामले में सूत्र बताते हैं कि राजेन्द्र कुमार छाजेड़ का यह कथन है कि वे न तो मंत्री हैं ना ही सचिव! ऐसी स्थिति में सवाल यह भी उठ सकता है कि उपाश्रय की एक चाबी उनके पास कैसे और क्यों रहती है? वहीं नगर निगम द्वारा की जा रही जांच के दौरान वे किस हैसियत से मौके पर उपस्थित रहे? उनकी हरकतों से साफ हो जाता है कि वे गैरकानूनी तरीके से उपाश्रय पर नाजायज कब्जा करने वाले कब्जाधारियों में से एक हैं।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ परम्परा की मण्डोवरा गद्दी प्रकरण और उपाश्रय भवन में अवैध निर्माण मुद्दे पर फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन की शिकायत सही निकली। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि आचार्य जिन धरणेन्द्र सूरि की वसीयत एवं स्थापित कानूनों के अन्तर्गत उपाश्रय परिसर में किसी भी तरह की कोई भी कॉमर्शियल गतिविधियां नहीं चलाई जा सकती है।
एक मुद्दा जो अत्यन्त गम्भीर है और वह है कि श्री जैन श्वेताम्बर समाज के किसी भी उपाश्रय में किसी भी प्रकार की मूर्ति की स्थापना नहीं की जा सकती है। केवल आचार्य की साधना के लिये साधना/अराधना स्थल का निर्माण किया जाता है, वह भी आचार्य, उपाचार्य (उपाध्याय) कक्षों में। यहां तो खरतरगच्छ समाज की मण्डोवरा गद्दी (गादी/पीठ) को ही उसके स्थान से हटा दिया गया है और मूर्तियां टिका दी गई है। यह मण्डोवरा आम्नाय के धार्मिक सिद्धांतों के विपरीत है।
हम इस प्रकरण में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। ताकि पूरे श्वेताम्बर समाज हकीकत से रूबरू हो सके! क्रमश:
जयपुर के कुंदीगर भैंरू के रास्ते में स्थित श्री पुज्य जी के उपाश्रय में स्थित श्री जैन श्वेताम्बर मण्डोवरा परम्परा की इस गद्दी को उसके स्थापित मूल स्थान से हटा दिया गया है। यही नहीं इस गद्दी के मूल स्थान के पास स्थापित एकान्त साधना कक्ष को भी जमींदोज कर दिया गया है और इस मण्डोवरा गद्दी के आचार्य के कक्ष में भैंरव की प्रतिमा को प्रथम मंजिल से हटा कर लगा दिया गया है। ताकि पूंजीपति जौहरी किरायेदारों को सहुलियत मिल सके। जबकि धार्मिक रूप से यह अत्यन्त आपत्तिजनक है।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ परम्परा की मण्डोवरा गद्दी को खुर्दबुर्द करने के साथ-साथ इस गद्दी के उपाश्रय के बाहरी स्वरूप के साथ गम्भीर छेड़छाड़ की गई है नतीजन श्रीपूज्य जी महाराज के बड़े उपासरे के बाहरी स्वरूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया गया है। नतीजन उपाश्रय के मुख्य द्वारा पर स्थापित हृंकार मंत्र का औचित्य भी लगभग समाप्त हो गया है।
अवैध कब्जाधारियों पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़, सुशील कुमार बुरड़ और उनके सहयोगियों ने आखीर मण्डोवरा गद्दी को क्यों खुर्दबुर्द करवाया, उपाश्रय के बाहरी स्वरूप को बिगाड़ व वास्तुदोष पैदा कर मुख्य दरवाजे पर स्थित चमत्कारी यन्त्र को क्यों निष्फल करने की साजिश रची हम इस पूरे मामले में आगे महत्वपूर्ण खुलासे करेंगे। लेकिन इससे पहिले हम इनकी करतूतों की असलियत की कथा बतायेंगे।
श्री जैन श्वेताम्बर परम्परा की मण्डोवरा शाखा के इस श्रीपूज्य जी के उपाश्रय की प्रथम मंजिल बिना इजाजत गैरकानूनी निर्माण करा कर अवैध रूप से व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने के मामले में जिला कलक्टर जयपुर, उपजिला मजिस्ट्रेट जयपुर तथा जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त द्वारा की जा रही जांच के क्रम में जयपुर नगर निगम द्वारा जारी नोटिसों के मामले में सूत्र बताते हैं कि राजेन्द्र कुमार छाजेड़ का यह कथन है कि वे न तो मंत्री हैं ना ही सचिव! ऐसी स्थिति में सवाल यह भी उठ सकता है कि उपाश्रय की एक चाबी उनके पास कैसे और क्यों रहती है? वहीं नगर निगम द्वारा की जा रही जांच के दौरान वे किस हैसियत से मौके पर उपस्थित रहे? उनकी हरकतों से साफ हो जाता है कि वे गैरकानूनी तरीके से उपाश्रय पर नाजायज कब्जा करने वाले कब्जाधारियों में से एक हैं।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ परम्परा की मण्डोवरा गद्दी प्रकरण और उपाश्रय भवन में अवैध निर्माण मुद्दे पर फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन की शिकायत सही निकली। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि आचार्य जिन धरणेन्द्र सूरि की वसीयत एवं स्थापित कानूनों के अन्तर्गत उपाश्रय परिसर में किसी भी तरह की कोई भी कॉमर्शियल गतिविधियां नहीं चलाई जा सकती है।
एक मुद्दा जो अत्यन्त गम्भीर है और वह है कि श्री जैन श्वेताम्बर समाज के किसी भी उपाश्रय में किसी भी प्रकार की मूर्ति की स्थापना नहीं की जा सकती है। केवल आचार्य की साधना के लिये साधना/अराधना स्थल का निर्माण किया जाता है, वह भी आचार्य, उपाचार्य (उपाध्याय) कक्षों में। यहां तो खरतरगच्छ समाज की मण्डोवरा गद्दी (गादी/पीठ) को ही उसके स्थान से हटा दिया गया है और मूर्तियां टिका दी गई है। यह मण्डोवरा आम्नाय के धार्मिक सिद्धांतों के विपरीत है।
हम इस प्रकरण में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। ताकि पूरे श्वेताम्बर समाज हकीकत से रूबरू हो सके! क्रमश: