मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के मौ कस्बे में एक पच्चीस वर्षिय जैन साध्वी को अगवा कर निर्वस्त्र कर उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई। जैन साध्वी के शरीर पर तीन जगह फ्रेक्चार हुए हैं और उन्हें ग्वालियर में जयारोग्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। प्रकरण का मुख्य आरोपी प्रदीप यादव और उसके साथी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से कोसों दूर हैं।
इससे पहिले गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान में जैन साधु-साध्वियों को अपमानित-प्रताडि़त किया जाता रहा है। जैन मंदिरों में मूर्तियों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की चोरियां आम बात है।
राजस्थान में भू-माफियाओं, बिल्डर माफियाओं, पूंजिपतियों, सरमायेदारों द्वारा जैन मंदिरों और उनसेसलग्र जमीनों पर कब्जे आम बात है। जयपुर जिले के चाकसू, चौमू, जयपुर शहर के नगर निगम क्षेत्रों में, चूरू जिले के सरदारशहर तहसील मुख्यालय पर स्थित मंदिर और सलग्र जमीनों के साथ-साथ ऋषभदेव के केसरियानाथ मंदिर सहित प्रदेश के लगभग 1250 से ज्यादा जैन धार्मिक स्थानों पर अतिक्रमण एवं गैरकानूनी कब्जे हो रहे हैं। राज्य सरकार जैन समाज की सम्पत्तियों पर से कब्जे हटाने के लिये कोई प्रयास नहीं कर रही है।
उधर जैन समुदाय शिक्षा, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में तेजी से पिछड़ता जा रहा है। क्योंकि देश को गणतंत्र घोषित किये जाने के 64 साल बीत जाने के बाद भी राजस्थान में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित नहीं किये जाने के कारण आज जैन समुदाय अल्पसंख्यक के रूप में शैक्षणिक छात्रवृति, शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, जैन समुदाय की शिक्षण संस्थाओं की क्रमोन्नति, जैन संस्कृति अकादमी हेतु आधारभूत सुविधाओं से वंचित है।
जैन समुदाय की शिक्षण संस्थाओं में सरकारी तंत्र का गैरवाजिब हस्तक्षेप बढ़ता ही चला जा रहा है। जैन समुदाय आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर तेजी से पिछडता जा रहा है। क्योंकि इस समाज के युवाओं को रोजगार के लिये आवश्यक आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि खुद जैन समाज के पूंजीपति-सरमायेदार केंद्र और राज्य सरकारों ओर राजनेताओं के आगे अपने आपको समाज का अगड़ा आरोपित कर अपने निजी फायदे उठाने में लिप्त हैं।
ज्ञातव्य रहे कि राजस्थान को छोड़ कर अन्य प्रदेशों तमिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली सहित कई राज्यों में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। ऐसी स्थिति में राजस्थान का जैन समुदाय ही वंचित क्यों?
इससे पहिले गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान में जैन साधु-साध्वियों को अपमानित-प्रताडि़त किया जाता रहा है। जैन मंदिरों में मूर्तियों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की चोरियां आम बात है।
राजस्थान में भू-माफियाओं, बिल्डर माफियाओं, पूंजिपतियों, सरमायेदारों द्वारा जैन मंदिरों और उनसेसलग्र जमीनों पर कब्जे आम बात है। जयपुर जिले के चाकसू, चौमू, जयपुर शहर के नगर निगम क्षेत्रों में, चूरू जिले के सरदारशहर तहसील मुख्यालय पर स्थित मंदिर और सलग्र जमीनों के साथ-साथ ऋषभदेव के केसरियानाथ मंदिर सहित प्रदेश के लगभग 1250 से ज्यादा जैन धार्मिक स्थानों पर अतिक्रमण एवं गैरकानूनी कब्जे हो रहे हैं। राज्य सरकार जैन समाज की सम्पत्तियों पर से कब्जे हटाने के लिये कोई प्रयास नहीं कर रही है।
उधर जैन समुदाय शिक्षा, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में तेजी से पिछड़ता जा रहा है। क्योंकि देश को गणतंत्र घोषित किये जाने के 64 साल बीत जाने के बाद भी राजस्थान में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित नहीं किये जाने के कारण आज जैन समुदाय अल्पसंख्यक के रूप में शैक्षणिक छात्रवृति, शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, जैन समुदाय की शिक्षण संस्थाओं की क्रमोन्नति, जैन संस्कृति अकादमी हेतु आधारभूत सुविधाओं से वंचित है।
जैन समुदाय की शिक्षण संस्थाओं में सरकारी तंत्र का गैरवाजिब हस्तक्षेप बढ़ता ही चला जा रहा है। जैन समुदाय आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर तेजी से पिछडता जा रहा है। क्योंकि इस समाज के युवाओं को रोजगार के लिये आवश्यक आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि खुद जैन समाज के पूंजीपति-सरमायेदार केंद्र और राज्य सरकारों ओर राजनेताओं के आगे अपने आपको समाज का अगड़ा आरोपित कर अपने निजी फायदे उठाने में लिप्त हैं।
ज्ञातव्य रहे कि राजस्थान को छोड़ कर अन्य प्रदेशों तमिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली सहित कई राज्यों में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। ऐसी स्थिति में राजस्थान का जैन समुदाय ही वंचित क्यों?