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श्वेताम्बर जैन धर्माचार्य ने शहीद करवा दिया जयपुर में धार्मिक स्थल!

जयपुर/बीकानेर (अग्रगामी) पिछले अंक में हमने श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की मण्डोवरा शाखा की बीकानेर गद्दी (पीठ) से जुडे उपाध्याय श्री श्यामलाल जी यति के उपाश्रय से जुडे अहम तथ्यों को खुलासा किया था। हमने उपाध्याय श्री श्यामलाल जी यति के उपाश्रय से जुडी श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की मण्डोवरा गद्दी (पीठ) के पूर्व जैनाचार्य श्रीपूज्य जिन विजयेन्द्र सूरि द्वारा 06 फरवरी, 1962 को लिखी गई वसीयत के बारे में भी खुलासा किया था। इस वसीयत के अनुसार जिन चंद्रसूरि बीकानेर गद्दी से जुडी एवं जिन विजयेन्द्र सूरि की वसीयत में उल्लेखित सम्पत्तियों के न तो मालिक हैं और न ही वे किसी भी स्थिति में इन सम्पत्तियों का विक्रय कर सकते हैं। इस वसीयत की एक फोटो प्रति अग्रगामी संदेश के पास भी उपलब्ध है।
जिनचंद्र सूरि ने आर्थिक लाभ अर्जित करने और करवाने के लिये इस धार्मिक स्थल पर 162 साल पूर्व स्थापित दादा गुरूदेव जिन कुशलसूरि और भगवान कुंन्थूनाथ स्वामी के जिनालयों को कुछ भू-माफियाओं और अपने विश्वस्थों के जरिये खुर्दबुर्द करवा कर वहां गैर कानूनी तरीके से अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनवाने के लिये लगभग 30320 फुट का तहखाना बनवा कर उस पर आरसीसी की छत और ग्राउण्ड फ्लोर बनाने के लिये आरसीसी के कालम्स खडे करवा दिये।
जयपुर नगर निगम ने जयपुर जैन समाज के प्रबुद्ध लोगों का गम्भीर विरोध होने पर इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण कार्य रूकवा तो दिया, लेकिन उसे ध्वस्त नहीं किया!
जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के एक कनिष्ठ अभियन्ता और एक लिपिक की कारगुजारियों के चलते इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण से सम्बन्धित आवश्यक कागजात भी इधर-उधर कर दिये गये।
उधर उपाध्याय श्री श्यामलाल जी यति के उपाश्रय को कॉमर्शियल काम्प्लेक्स का स्वरूप देने की साजिश के खिलाफ गम्भीर शिकायतों के मद्देनजर नगरीय विकास एवं आवासन, स्वायत्त शासन विधि, विधिक कार्य, संसदीय मामलात तथा निर्वाचन मंत्री शांति धारीवाल ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयपुर नगर निगम को अर्धशासकीय टीप क्रमांक 4036 दिनांक 31 अक्टूबर, 2012 लिख कर स्पष्ट निर्देश दिये थे कि जयपुर नगर निगम द्वारा इस प्रकरण में अपने ही आदेशों की अनुपालना नहीं किये जाने से जैन समाज में गम्भीर रोष व्याप्त है और प्रकरण का परीक्षण करवा कर शीघ्र इस समस्या का निदान करवायें।
नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की इस अर्धशासकीय टीप दिनांक 31 अक्टूबर, 2012 और जयपुर नगर के जैन समुदाय के विरोध के चले जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व आयुक्त ने आचार्य जिन चंद्रसूरि को अपने नोटिस क्रमांक एफ-52/एमसी/एचएमजेड(ई)/012/25 दिनांक 17 नवम्बर, 2012 द्वारा निर्देशित किया गया था कि अवैध निर्माण का हटालें अन्यथा नगर निगम द्वारा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 194/287 के तहत उनके हर्जे खर्चे पर तुड़वा दिया जायेगा। यह नोटिस उपाध्याय श्यामलाल जी यति के उपाश्रय म्युनिसपिल भवन संख्या 3826 (रेकार्ड में ए-1 भी अंकित) के मुख्य दरवाजे पर आज भी चस्पा है।
शर्मनाक स्थिति यह भी है कि जयपुर नगर निगम में इस धार्मिक स्थल की दो फाइलें संधारित हैं और दोनों फाइलें जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के दो अलग-अलग सैक्शनों में संधारित है। एक फाइल जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व में पूर्व में कार्यरत एक जेइएन और बाबू की मिलीभगत से इस लिये दबाई जा रही है, ताकि येन प्रकेरण इस धार्मिक स्थल पर आवासीय निर्माण की स्वीकृति मिल जाये और उस स्वीकृति की आड़ में अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया जाये।
इधर जयपुर में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ सहित अन्य गच्छों और पंथों से जुडे कुछ प्रबुद्ध लोग इस प्रकरण में गच्छ-पंथ के भेद से ऊपर उठ कर जैन समाज के धार्मिक स्थल को बचाने के लिये सामुहिक संघर्ष की रूपरेखा बनाने में जुट गये हैं।
समग्र श्वेताम्बर जैन समुदाय में यह मांग प्रबल होती जा रही है कि यह पता लगाया जाये कि खरतरगच्छ समुदाय की मण्डोवरा शाखा के उपाध्याय श्यामलाल यति जी के उपाश्रय में 162 साल  पहिले स्थापित हुए दादा गुरूदेव जिन कुशलसूरि के चरण और भगवान कुंन्थूनाथ स्वामी का सम्पूर्ण जिनालय आखीर है कहां पर! क्या इन दोनों को शहीद कर दिया गया है? जवाब देना होगा आचार्य जिन चंद्रसूरि और मूलचंद डागा को! हम इस मुद्दे पर आगे विस्तार से जायेंगे अगले अंकों में! क्रमश:

 
AGRAGAMI SANDESH

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