जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव ने फरमाया है कि कि जोन के अधिकारी जयपुर नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकने के लिये अपनी जुम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा रहे हैं। नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव अपने हिसाब से कुछ भी चकल्लस करें लेकिन नगर निगम का रेकार्ड बताता है कि अवैध निर्माण के लिये जुम्मेदार अफसरों को वे खुद और जयपुर नगर निगम की मेयर ज्योति खण्डेलवाल प्रश्रय देते हैं।
हम एक उदाहरण देते हैं, जयपुर शहर की चार दिवारी क्षेत्र की चौकडी विश्वेश्वर जी स्थित म्युनिसिपल भवन संख्या 2313, रामलला जी का रास्ता में बनाये गये अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री हाऊस काम्प्लेक्स की। इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स को गत 9 नवम्बर, 2012 को सील कर दिया गया था। तुरत-फुरत नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव ने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स की 10 नवम्बर, 2012 को ही सील खुलवा दी। बहाना बनाया उच्च स्तरीय आदेश का! जबकि खुद जयपुर नगर निगम का रेकार्ड दर्शाता है कि सीईओ जगरूप सिंह यादव से ऊपरी किसी भी अफसर या मंत्री ने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स की सील खुलवाने के लिये कोई आदेश नहीं दिये थे।
इस अवैध रत्नश्री हाऊस कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के मामले में कोर्ट ने भी जयपुर नगर निगम को कानून सम्मत तरीके से कार्य करने के निर्देश दिये हैं। वहीं जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने भी कानून सम्मत तरीके से स्थापित कानूनों और नियमों का हवाला देकर स्पष्ट किया है कि यह रत्नश्री हाऊस काम्प्लेक्स अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स है और इस पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (7)(एफ) एवं 285 के तहत कार्यवाही के लिये उन्होंने आवश्यक फोर्स की डिमाण्ड भी की, लेकिन खुद सीईओ जगरूप सिंह यादव के दबाव में आकर जोन स्तर से कार्यवाही नहीं की जा रही है। आम अवाम में यह चर्चा जोरों पर है कि अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री हाऊस के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के पेटे बीस लाख का नजराना तैय हुआ बताते हैं! इस नजराने में से किस को कितना मिल चुका है या फिर मिलना है, इस की जानकारी तो जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव ही बता सकते हैं। वे ही यह भी बता सकते हैं कि अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के खिलाफ कार्यवाही किन नियमों और कानूनों के तहत नहीं हो रही है और कार्यवाही रूकवाने वाले हकीकत में कौन लोग हैं? क्या हकीकत बतायेंगे सीईओ जगरूप सिंह यादव! स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, प्रमुख शासन सचिव यूएचडी गुरूदयाल सिंह संधु, मेयर ज्योति खण्डेलवाल में से किसने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के खिलाफ कार्यवाही में रोड़े अटकाये हैं! जिस किसी मंत्री या अफसर की नाक इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स में अटकी है, उसका नाम सार्वजनिक रूप से उजागर होना चाहिये।
हकीकत में इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के अवैध निर्माण को सीज कर ध्वस्त करने की कार्यवाही को रूकवाने के मामले में अभी तक रेकार्ड पर जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप ङ्क्षसह यादव का ही नाम नजर आ रहा है। ऐसे हालात में यादव साहब ही हकीकत बयान कर सकते हैं कि इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के मामले में उनके साथ किस मंत्री और अफसर की नाक अटकी हुई है? हुजूर बतायें!
हम एक उदाहरण देते हैं, जयपुर शहर की चार दिवारी क्षेत्र की चौकडी विश्वेश्वर जी स्थित म्युनिसिपल भवन संख्या 2313, रामलला जी का रास्ता में बनाये गये अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री हाऊस काम्प्लेक्स की। इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स को गत 9 नवम्बर, 2012 को सील कर दिया गया था। तुरत-फुरत नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव ने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स की 10 नवम्बर, 2012 को ही सील खुलवा दी। बहाना बनाया उच्च स्तरीय आदेश का! जबकि खुद जयपुर नगर निगम का रेकार्ड दर्शाता है कि सीईओ जगरूप सिंह यादव से ऊपरी किसी भी अफसर या मंत्री ने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स की सील खुलवाने के लिये कोई आदेश नहीं दिये थे।
इस अवैध रत्नश्री हाऊस कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के मामले में कोर्ट ने भी जयपुर नगर निगम को कानून सम्मत तरीके से कार्य करने के निर्देश दिये हैं। वहीं जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने भी कानून सम्मत तरीके से स्थापित कानूनों और नियमों का हवाला देकर स्पष्ट किया है कि यह रत्नश्री हाऊस काम्प्लेक्स अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स है और इस पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (7)(एफ) एवं 285 के तहत कार्यवाही के लिये उन्होंने आवश्यक फोर्स की डिमाण्ड भी की, लेकिन खुद सीईओ जगरूप सिंह यादव के दबाव में आकर जोन स्तर से कार्यवाही नहीं की जा रही है। आम अवाम में यह चर्चा जोरों पर है कि अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री हाऊस के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के पेटे बीस लाख का नजराना तैय हुआ बताते हैं! इस नजराने में से किस को कितना मिल चुका है या फिर मिलना है, इस की जानकारी तो जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव ही बता सकते हैं। वे ही यह भी बता सकते हैं कि अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के खिलाफ कार्यवाही किन नियमों और कानूनों के तहत नहीं हो रही है और कार्यवाही रूकवाने वाले हकीकत में कौन लोग हैं? क्या हकीकत बतायेंगे सीईओ जगरूप सिंह यादव! स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, प्रमुख शासन सचिव यूएचडी गुरूदयाल सिंह संधु, मेयर ज्योति खण्डेलवाल में से किसने इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के खिलाफ कार्यवाही में रोड़े अटकाये हैं! जिस किसी मंत्री या अफसर की नाक इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स में अटकी है, उसका नाम सार्वजनिक रूप से उजागर होना चाहिये।
हकीकत में इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के अवैध निर्माण को सीज कर ध्वस्त करने की कार्यवाही को रूकवाने के मामले में अभी तक रेकार्ड पर जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप ङ्क्षसह यादव का ही नाम नजर आ रहा है। ऐसे हालात में यादव साहब ही हकीकत बयान कर सकते हैं कि इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स रत्नश्री के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के मामले में उनके साथ किस मंत्री और अफसर की नाक अटकी हुई है? हुजूर बतायें!