जयपुर/बीकानेर (अग्रगामी) श्वेताम्बर जैन खरतरगच्छ समाज के धार्मिक स्थल को शहीद करने के मामले में राज्य के नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के कार्यवाही हेतु निर्देशों और अवैध कॉमर्शियल कंस्ट्रक्शन को हटाने के आयुक्त हवामहल जोन पूर्व द्वारा लिये गये निर्णय की पालना जोन आयुक्त स्तर पर ही अटकी हुई है! आखीर क्यों? बतायें जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव!
मामला इस प्रकार है कि जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व की चौकड़ी घाटगेट के मोतीसिंह भौमियों का रास्ता स्थित भवन म्युनिसिपल संख्या 3826 (नगर निगम के रेकार्ड में भवन नं.-ए-1 भी अंकित) है जोकि उपाध्याय श्री श्यामलाल जी यति के उपाश्रय के नाम से मशहूर उपाश्रय स्थित है। इस उपाश्रय के अधिष्ठाता स्वर्गीय आचार्य जिन विजयचंद्र सूरि की वसीयत दिनांक 8 फरवरी, 1962 के अनुसार इस उपाश्रय को न तो बेचा जा सकता है, न ही हस्तान्तरण किया जा सकता है। स्वर्गीय आचार्य जिन विजयचंद्र सूरि द्वारा निष्पादित वसीयत में साफ-साफ लिखा है कि जयपुर वाला उपाश्रय मेरे पूज्य गुरूवर के नाम के पीछे उनकी पुण्य स्मृति में उन्हों के नाम से रखना चाहता हूं जो कायम रखा जाये। लेकिन यति श्यामलालजी के उपाश्रय और उसमें स्थित 162 साल पुराने दादा गुरूदेव जिन कुशलसूरि के चरण को शहीद कर दिया गया। इनके अवशेषों का भी कोई अता-पता नहीं है।
वहीं जयपुर नगर निगम के रेकार्ड पर उपलब्ध जानकारी को अगर सही माना जाये तो बीकानेर के आचार्य जिन चंद्रसूरि तथा बीकानेर के ही मूलचंद डागा जोकि जिनचंद्र सूरि के विश्वस्त सुरेन्द्र डागा के रिश्ते में भाई बताये जाते हैं, को जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व आयुक्त ने बार-बार नोटिस जारी कर यति श्यामलाल जी के उपाश्रय और उसमें स्थापित लगभग 162 साल पुराने स्थपित दादा गुरूदेव के चरणों एवं तिर्थंकर श्री कुंन्थूनाथ स्वामी के जिनालय को शहीद कर गैर कानूनी रूप से बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के अण्डरग्राउण्ड निर्माण को तत्काल ध्वस्त करने के नोटिस जारी किये गये थे। जयपुर नगर निगम द्वारा आचार्य जिन चंद्रसूरि को जारी नोटिस क्रमांक एफ-52/एमसी/एचएमजेड/ई/012/25 दिनांक 17 नवम्बर, 2012 में आयुक्त हवामहल जोन पूर्व ने आचार्य जिन चंद्रसूरि को साफ-साफ चेतावनी दी है कि वे इस नोटिस की प्राप्ति के 24 घंटों में इस अवैध कॉमर्शियल निर्माण की स्वीकृति से सम्बन्धित दस्तावेज पेश करें आचार्य जिन चंद्रसूरि को जारी नोटिस में साफ-साफ अंकित किया गया है कि अवैध निर्माध को हटाने के लिये जोन आयुक्त द्वारा पूर्व में नोटिस क्रमांक 58 दिनांक 30 सितम्बर, 2009, क्रमांक 60 दिनांक 8 अक्टूबर, 2009 व नोटिस क्रमांक 65 दिनांक 18 नवम्बर, 2009 भी जारी किये गये थे, लेकिन आचार्य जिन चंद्रसूरि व उनके विश्वस्त मूलचंद डागा ने आजतक जयपुर नगर निगम को न तो कोई जवाब दिया है और न ही अवैध निर्माण को हटाया। नोटिस आज भी यति श्यामलाल जी के उपाश्रय के मेनगेट पर चस्पा है।
अग्रगामी संदेश ने इस मामले में आचार्य जिन चंद्रसूरि, उनके सहयोगी सुरेन्द्र डागा और शालिनी कोठारी से उनके टेलीफोन और मोबाइलों पर सम्पर्क करने की कोशिश की तो जिन चंद्रसूरि एवं शालिनी कोठारी कतराते रहे वहीं सुरेन्द्र डागा ने साफ-साफ कहा कि इस मामले में जिन चंद्रसूरि ही कुछ बता सकते हैं।
उधर जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त ने धार्मिक स्थल को शहीद कर बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स को ध्वस्त करने के आदेश दे दिये हैं। वहीं नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने भी जैन समाज के प्रतिनिधियों की नाराजगी का उल्लेख करते हुए जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव को लिखी अपनी अर्धशासकीय टीप में जैन समाज में व्याप्त रोष की जानकारी देते हुए तत्काल कार्यवाही का निर्देश दिया है।
जैन संस्कृति के पुरातत्व महत्व केएक धार्मिक स्थल को शहीद कर उसके स्थान पर कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की घिनौनी साजिश पर सन्नीपात में जकड़े जयपुर नगर निगम के सीईओ, हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त क्यों कार्यवाही में देरी कर रहे हैं, यह तो वे ही बता सकते हैं, लेकिन अवाम को अब महसूस होने लगा है कि शायद पूरा निगम प्रशासन सन्नीपात में ही जकड़ा हो!
अगले अंकों में हम साया करेंगे, जिन चंद्रसूरि एवं उनके अमचे-चमचों के बारे में कुछ सच्चाइयां! क्रमश:
मामला इस प्रकार है कि जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व की चौकड़ी घाटगेट के मोतीसिंह भौमियों का रास्ता स्थित भवन म्युनिसिपल संख्या 3826 (नगर निगम के रेकार्ड में भवन नं.-ए-1 भी अंकित) है जोकि उपाध्याय श्री श्यामलाल जी यति के उपाश्रय के नाम से मशहूर उपाश्रय स्थित है। इस उपाश्रय के अधिष्ठाता स्वर्गीय आचार्य जिन विजयचंद्र सूरि की वसीयत दिनांक 8 फरवरी, 1962 के अनुसार इस उपाश्रय को न तो बेचा जा सकता है, न ही हस्तान्तरण किया जा सकता है। स्वर्गीय आचार्य जिन विजयचंद्र सूरि द्वारा निष्पादित वसीयत में साफ-साफ लिखा है कि जयपुर वाला उपाश्रय मेरे पूज्य गुरूवर के नाम के पीछे उनकी पुण्य स्मृति में उन्हों के नाम से रखना चाहता हूं जो कायम रखा जाये। लेकिन यति श्यामलालजी के उपाश्रय और उसमें स्थित 162 साल पुराने दादा गुरूदेव जिन कुशलसूरि के चरण को शहीद कर दिया गया। इनके अवशेषों का भी कोई अता-पता नहीं है।
वहीं जयपुर नगर निगम के रेकार्ड पर उपलब्ध जानकारी को अगर सही माना जाये तो बीकानेर के आचार्य जिन चंद्रसूरि तथा बीकानेर के ही मूलचंद डागा जोकि जिनचंद्र सूरि के विश्वस्त सुरेन्द्र डागा के रिश्ते में भाई बताये जाते हैं, को जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व आयुक्त ने बार-बार नोटिस जारी कर यति श्यामलाल जी के उपाश्रय और उसमें स्थापित लगभग 162 साल पुराने स्थपित दादा गुरूदेव के चरणों एवं तिर्थंकर श्री कुंन्थूनाथ स्वामी के जिनालय को शहीद कर गैर कानूनी रूप से बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के अण्डरग्राउण्ड निर्माण को तत्काल ध्वस्त करने के नोटिस जारी किये गये थे। जयपुर नगर निगम द्वारा आचार्य जिन चंद्रसूरि को जारी नोटिस क्रमांक एफ-52/एमसी/एचएमजेड/ई/012/25 दिनांक 17 नवम्बर, 2012 में आयुक्त हवामहल जोन पूर्व ने आचार्य जिन चंद्रसूरि को साफ-साफ चेतावनी दी है कि वे इस नोटिस की प्राप्ति के 24 घंटों में इस अवैध कॉमर्शियल निर्माण की स्वीकृति से सम्बन्धित दस्तावेज पेश करें आचार्य जिन चंद्रसूरि को जारी नोटिस में साफ-साफ अंकित किया गया है कि अवैध निर्माध को हटाने के लिये जोन आयुक्त द्वारा पूर्व में नोटिस क्रमांक 58 दिनांक 30 सितम्बर, 2009, क्रमांक 60 दिनांक 8 अक्टूबर, 2009 व नोटिस क्रमांक 65 दिनांक 18 नवम्बर, 2009 भी जारी किये गये थे, लेकिन आचार्य जिन चंद्रसूरि व उनके विश्वस्त मूलचंद डागा ने आजतक जयपुर नगर निगम को न तो कोई जवाब दिया है और न ही अवैध निर्माण को हटाया। नोटिस आज भी यति श्यामलाल जी के उपाश्रय के मेनगेट पर चस्पा है।
अग्रगामी संदेश ने इस मामले में आचार्य जिन चंद्रसूरि, उनके सहयोगी सुरेन्द्र डागा और शालिनी कोठारी से उनके टेलीफोन और मोबाइलों पर सम्पर्क करने की कोशिश की तो जिन चंद्रसूरि एवं शालिनी कोठारी कतराते रहे वहीं सुरेन्द्र डागा ने साफ-साफ कहा कि इस मामले में जिन चंद्रसूरि ही कुछ बता सकते हैं।
उधर जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त ने धार्मिक स्थल को शहीद कर बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स को ध्वस्त करने के आदेश दे दिये हैं। वहीं नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने भी जैन समाज के प्रतिनिधियों की नाराजगी का उल्लेख करते हुए जयपुर नगर निगम के सीईओ जगरूप सिंह यादव को लिखी अपनी अर्धशासकीय टीप में जैन समाज में व्याप्त रोष की जानकारी देते हुए तत्काल कार्यवाही का निर्देश दिया है।
जैन संस्कृति के पुरातत्व महत्व केएक धार्मिक स्थल को शहीद कर उसके स्थान पर कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की घिनौनी साजिश पर सन्नीपात में जकड़े जयपुर नगर निगम के सीईओ, हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त क्यों कार्यवाही में देरी कर रहे हैं, यह तो वे ही बता सकते हैं, लेकिन अवाम को अब महसूस होने लगा है कि शायद पूरा निगम प्रशासन सन्नीपात में ही जकड़ा हो!
अगले अंकों में हम साया करेंगे, जिन चंद्रसूरि एवं उनके अमचे-चमचों के बारे में कुछ सच्चाइयां! क्रमश: