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श्वेताम्बर समाज में धर्म के ठेकेदारों ने ठाकूर जी और गुरू जी को किया ताले में बंद!

जयपुर (अग्रगामी) अग्रगामी संदेश के गत अंक में हमने ''श्वेताम्बर समाज के धर्म के ठेकेदारों ने धार्मिक स्थान को बनाया व्यापारिक स्थल'' शीर्षक से समाचार साया किया था। उस प्रकरण में कार्यवाही के बारे में हम आगे विस्तार से लिखेंगे।
लेकिन इन्ही धर्म के ठेकेदार पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़ और सुशील कुमार बुरड़ ने श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की मण्डोवर गद्दी उपाश्रय प्रांगण को ताले से जकड़ दिया है।
सूत्र बताते हैं कि इस एक ताले की कई चाबियां बनाकर इन धर्म के ठेकेदारों ने अपने पास रखी है। नतीजन आम श्रावकों को इस जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छीय मण्डोवरा गद्दी के उपाश्रय में सामायिक प्रतिक्रमण, प्रवचन जैसे धर्म, ध्यान के लिये भी अब इन कथित धर्म के ठेकेदारों से उपासरे के मेनगेट की चाबी की भीख मांगनी पड़ती है! चाबी देना या न देना इन गैरकानूनी अतिक्रमणियों का अपना दादागिरी का रूतबा है।
इन पंक्तियों के लेखक, जो श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छीय इस गद्दी के अनुयायी हैं और स्वर्गीय आचार्य धरणेन्द्र सूरि की वसीयत में उल्लेखित ग्यारह व्यक्तियों में से एक के पुत्र हैं, ने जब राजेन्द्र कुमार छाजेड़ से चाबी के बारे में सवाल किया तो उनका जवाब था कि आपका इस खरतरगच्छीय मण्डोवरा गद्दी के उपाश्रय से क्या लेना देना है? गोया कि यह उपाश्रय उनकी बपौती है और इसकी लिये वे इस उपाश्रय की चाबी अपने बैडरूम में रखते हैं। एक-एक चाबी पदमचंद गोलेछा और सुशील कुमार बुरड़ और एक चाबी उस व्यक्ति के पास है जो रात में सोता तो इस उपाश्रय में है, लेकिन नौकरी किसी कॉमर्शियल काम्प्लेक्स में सेठियों के यहां करता है। इस ताले की ओर कितनी चाबियां है, ये तो इस उपाश्रय पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाये बैठे पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़ और सुशील कुमार बुरड़ ही बता सकते हैं। वैसे इनकी गैर कानूनी राठौड़ी और दादागिरी के खिलाफ अब इस गद्दी के कुछ श्रावक वैधानिक प्रक्रिया में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
उधर इस खरतरगच्छीय मण्डोवर गद्दी के उपाश्रय की प्रथम मंजिल में अवैध कॉमर्शियल गतिविधियां चलाने की शिकायत के क्रम में जयपुर जिला कलक्टर के निर्देश पर नगर निगम, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। नगर निगम के जोन आयुक्त ने मौका देख कर शिकायतकर्ता की इस शिकायत को सही माना है कि उपाश्रय प्रांगण के प्रथम तल पर कॉमर्शिलय गतिविधियां चल रही है। इससे साफ हो गया है कि उपाश्रय में गैर कानूनी कॉमर्शियल गतिविधियां चलाई जा रही है। जोकि स्थापित कानूनों और स्वर्गवासी आचार्य जिन धरणेन्द्र सूरि की वसीयत में दिये गये निर्देशों का गम्भीर उलंघन है।
शर्मनाक स्थिति तो यह है कि इस प्रकरण में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के सहवरण के रास्ते उपाध्यक्ष बने राजेन्द्र कुमार छाजेड़ प्रत्यक्ष रूप से लिप्त हैं और इन धर्म के ठेकेदार साहब को आम जैन समुदाय की धार्मिक भावना को समझने की औकात भी नहीं है।
हम अगले अंकों में इनके पूर्व में खरतरगच्छ संघ कोषाध्यक्ष पद से मालपुरा सहित अन्य मामलों में संलिप्ता के चलते इस्तीफा प्रकरण का विस्तार से खुलासा तो करेंगे ही, लेकिन अन्य मुद्दों में पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़ व सुशील कुमार बुरड़ की संलिप्तता को भी उजागर करेंगे। क्रमश:

 
AGRAGAMI SANDESH

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