जयपुर (अग्रगामी) मुनि तरूण सागर के एसएमएस इन्वेस्टमेंट ग्राउण्ड पर आगामी 28 जुलाई से 1 सितम्बर, 2013तक होने वाले कड़वे प्रवचनों के लिये भीड जुटाने के चक्कर में श्वेताम्बर-दिगम्बर दोनों समुदायों के आम श्रावकों को गुमराह करने हेतु श्वेताम्बर-दिगम्बर समुदाय की एकता का जो गहरा पाखण्डपूर्ण षडयंत्र रचा गया वह एक फोटो के चलते आखीरकार उजागर होता ही जा रहा है।
अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन ने श्वेताम्बर-दिगम्बर एकता के पाखण्ड की गहराई में जाकर इस पाखण्ड के सच को जानने की कोशिश की है। वहीं माणक काला के सानिध्य में छपी पुस्तिका क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरूण सागर में छपे एक चित्र जिसमें मुनि तरूण सागर के दाहिने और बांये चंद्रप्रभ सागर और ललितप्रभ सागर के हाथ जोडे फोटो ने पूरे श्वेताम्बर समाज में खलबली मचा दी है। सूत्र बताते हैं कि मूल फोटोग्राफ्स में छेड़छाड़ कर इस फोटोग्राफ को तैयार किया गया होगा, जिससे कि मुनि तरूण सागर की अन्य संतों पर सुपरमेसी दर्शाई जा सके! यह फोटोग्राफ आम श्वेताम्बर समाज के लिये पीड़ादायक हो सकता है। वहीं अकेला यह फोटोग्राफ ही इस एकता के पाखण्ड की धज्जियां उडा कर रख रहा है।
इन पंक्तियों के लेखक (अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन) को श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन समुदाय की एकता की नौटंकी के कुछ अहम मुद्दे हाथ लगे थे। इन मुद्दों और उपलब्ध दस्तावेजों ने प्राथमिक रूप से साफ कर दिया था कि जैन एकता के इस पाखण्ड के सूत्रधार कुछ पूंजीपति, टैक्स चोर, बिल्डर माफिया और भू-माफिया पूंजीपति हैं जो आने वाले विधानसभा चुनावों में और उसके बाद प्रदेश और देश में बनने वाली सरकारों से अपने व्यक्तिगत आर्थिक हित साधने के लिये इस तरह की नौटंकी को हवा दे रहे हैं। हो सकता है कि इन्हें मुनि तरूण सागर का जाने-अनजाने में प्रश्रय मिल रहा हो!
इन पंक्तियों के लेखक (अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन) ने श्वेताम्बर समाज के घटक समुदायों तपागच्छ, श्रीमाल, स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, रतन हितैशी श्रावक संघ, तेरापंथ समुदाय सहित श्वेताम्बर समाज के अधिकांश घटकों के प्रमुख समाज सेवियों से चर्चा हुई और इसके साथ-साथ मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला से भी गत 28 जून, 2013 को विस्तार से लगभग डेढ़ घंटे बातचीत हुई, जिसमें काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। हमने शिवजीराम भवन में जैन समुदाय के प्रबुद्धजनों की हुई बैठक में भी शिरकत की थी, जबकि विमलचंद सुराना, माणकचंद गोलेछा और ज्योति कोठारी एण्ड कम्पनी की यह कोशिश रही थी कि हमें इससे अलग रखा जाये ताकि उनकी पाखण्डपूर्ण गतिविधियों पर पर्दा पड़ा रहे!
सबसे पहिले हम चर्चा करेंगे, उस फोटोग्राफ की जो क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरूण सागर शीर्षक से छपी पुस्तिका में छपा है और हम उसे इस समाचार के साथ प्रकाशित कर रहे हैं। चूंकि इस फोटोग्राफ में मुनि चंद्रप्रभ सागर और मुनि ललितप्रभ सागर को मुनि तरूण सागर के दाहिने और बांये हाथ जोड़े दर्शाया गया है। सवाल उठता है कि वर्ष 2011 में क्या इस तरह का सामुहिक फोटोग्राफ उदयपुर में खैंचा गया था? इस फोटोग्राफ की उपलब्धता के श्रोत क्या है, बतायेंगे इस पुस्तिका के संकेत सूत्र माणक काला!
वैसे अगर इस फोटोग्राफ का गौर से अध्ययन किया जाये तो साफ हो जायेगा कि कुछ मूल फोटोग्राफ्स से छोड़छाड़ कर इस फोटोग्राफ को तैयार किया गया है। मुनि तरूण सागर के प्रचार प्रसार और कार्यक्रमों को मूर्तरूप देने वाले कुछ लोगों ने भी दबे स्वर में स्वीकारा है कि श्वेताम्बर जैन मुनियों, मुनि ललितप्रभ सागर और मुनि चंद्रप्रभ सागर के फोटोग्राफ्स के साथ छेड़छाड़ हुई है और इसकी सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर इस कृत्य के पीछे के रहस्य को उजागर किया जाना आवश्यक है।
समग्र जैन एकता का जहां तक सवाल है, दिगम्बर और श्वेताम्बर सामाजिक संगठन इस जैन एकता के पाखण्ड से कोसों दूर हैं। आमन्त्रण पत्रिका पर जिन लोगों के नाम अंकित हैं उनके लिये मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला ने बताया कि हमने इन लोगों को चातुर्मास आयोजन समिति में शामिल होने का आग्रह किया था और जिन लोगों की स्वीकृति आई और जिन लोगों ने जवाब नहीं दिया, उनकी भी स्वीकृति मानते हुए उन्हें चातुर्मास समिति में शामिल कर लिया! हमने दिगम्बर हो या फिर श्वेताम्बर, किसी भी सामाजिक संगठन से न तो सम्पर्क किया और न ही आवश्यकता समझी। गत 25 जून को शिवजीराम भवन में हुई बैठक में इस सम्बन्ध में उठे मुद्दे पर माणक काला ने कहा कि दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता पर ये लोग बैठकें करते रहें लेकिन कार्यक्रम प्रबंधन से चातुर्मास आयोजन समिति या अन्य किसी समिति का कोई लेना-देना नहीं है। इस कार्यक्रम को इवेन्ट मैनेजमैंट की तर्ज पर सम्पन्न करवाया जायेगा और टेंट हाऊस, केटरिंग से लेकर सभी काम प्रोफेशनल्स करेंगे और चातुर्मास समिति सहित किसी भी समाज संगठन की कोई सहभागिता या दखल नहीं होगा!
मुनि तरूण सागर चातुर्मास समिति के संयोजक माणक काला ने उदाहरण देते हुए बताया कि पांडाल में प्रवेश हेतु प्राइवेट सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे और वे ही आगन्तुकों के प्रवेश को नियन्त्रित करेंगे। दिगम्बर या श्वेताम्बर समाज के युवा संगठनों या स्वंयसेवकों का इसमें कोई दखल नहीं होगा।
चातुर्मास समिति के संयोजक माणक काला ने साफगोई से यह भी कहा कि जैन साहब यह माणक काला का वनमैन शो है। कोई साथ दे तो ठीक है और साथ न दे तो ठीक! उन्होंने हमें यह भी कहा कि आप चाहें तो मुनिश्री से आपकी मुलाकात भी करवाने की व्यवस्था करवा सकता हूं, जिसे हमने टाल दिया!
उधर श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन एकता के पाखण्ड की आड़ में कुछ लोगों ने राजनैतिक सुट्टे सेकने शुरू कर दिये हैं। अपने आप को जैन जगत का मीडिया आरोपित करने वाले एक साप्ताहिक में तो कांग्रेस से विधानसभा का टिकट मांगने वाले स्वंयभूं उम्मीदवार ने अपना दो पेज का विज्ञापन भी छपवाया है।
मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला ने इन मीडिया जी को चातुर्मास समिति का प्रवक्ता बनाया है। जब माणक काला से इस मुद्दे पर इस प्रतिनिधि की चर्चा हुई तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि ये कमेटियां केवल मात्र खानापूर्तियां है और इन लोगों के पास कोई भौतिक जुम्मेदारी न तो है और न ही रहेगी।
हम इस कथित श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन एकता के पाखण्ड के अंदर की सच्चाईयां अगले अंकों में विस्तार से लिखेंगे। हम उन जानकारियों को भी उजागर करेंगे जो 18 करोड़ के पैकेज से जुड़ी है। क्रमश:
अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन ने श्वेताम्बर-दिगम्बर एकता के पाखण्ड की गहराई में जाकर इस पाखण्ड के सच को जानने की कोशिश की है। वहीं माणक काला के सानिध्य में छपी पुस्तिका क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरूण सागर में छपे एक चित्र जिसमें मुनि तरूण सागर के दाहिने और बांये चंद्रप्रभ सागर और ललितप्रभ सागर के हाथ जोडे फोटो ने पूरे श्वेताम्बर समाज में खलबली मचा दी है। सूत्र बताते हैं कि मूल फोटोग्राफ्स में छेड़छाड़ कर इस फोटोग्राफ को तैयार किया गया होगा, जिससे कि मुनि तरूण सागर की अन्य संतों पर सुपरमेसी दर्शाई जा सके! यह फोटोग्राफ आम श्वेताम्बर समाज के लिये पीड़ादायक हो सकता है। वहीं अकेला यह फोटोग्राफ ही इस एकता के पाखण्ड की धज्जियां उडा कर रख रहा है।
इन पंक्तियों के लेखक (अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन) को श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन समुदाय की एकता की नौटंकी के कुछ अहम मुद्दे हाथ लगे थे। इन मुद्दों और उपलब्ध दस्तावेजों ने प्राथमिक रूप से साफ कर दिया था कि जैन एकता के इस पाखण्ड के सूत्रधार कुछ पूंजीपति, टैक्स चोर, बिल्डर माफिया और भू-माफिया पूंजीपति हैं जो आने वाले विधानसभा चुनावों में और उसके बाद प्रदेश और देश में बनने वाली सरकारों से अपने व्यक्तिगत आर्थिक हित साधने के लिये इस तरह की नौटंकी को हवा दे रहे हैं। हो सकता है कि इन्हें मुनि तरूण सागर का जाने-अनजाने में प्रश्रय मिल रहा हो!
इन पंक्तियों के लेखक (अग्रगामी संदेश के सम्पादक हीराचंद जैन) ने श्वेताम्बर समाज के घटक समुदायों तपागच्छ, श्रीमाल, स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, रतन हितैशी श्रावक संघ, तेरापंथ समुदाय सहित श्वेताम्बर समाज के अधिकांश घटकों के प्रमुख समाज सेवियों से चर्चा हुई और इसके साथ-साथ मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला से भी गत 28 जून, 2013 को विस्तार से लगभग डेढ़ घंटे बातचीत हुई, जिसमें काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। हमने शिवजीराम भवन में जैन समुदाय के प्रबुद्धजनों की हुई बैठक में भी शिरकत की थी, जबकि विमलचंद सुराना, माणकचंद गोलेछा और ज्योति कोठारी एण्ड कम्पनी की यह कोशिश रही थी कि हमें इससे अलग रखा जाये ताकि उनकी पाखण्डपूर्ण गतिविधियों पर पर्दा पड़ा रहे!
सबसे पहिले हम चर्चा करेंगे, उस फोटोग्राफ की जो क्रांतिकारी राष्ट्रसंत तरूण सागर शीर्षक से छपी पुस्तिका में छपा है और हम उसे इस समाचार के साथ प्रकाशित कर रहे हैं। चूंकि इस फोटोग्राफ में मुनि चंद्रप्रभ सागर और मुनि ललितप्रभ सागर को मुनि तरूण सागर के दाहिने और बांये हाथ जोड़े दर्शाया गया है। सवाल उठता है कि वर्ष 2011 में क्या इस तरह का सामुहिक फोटोग्राफ उदयपुर में खैंचा गया था? इस फोटोग्राफ की उपलब्धता के श्रोत क्या है, बतायेंगे इस पुस्तिका के संकेत सूत्र माणक काला!
वैसे अगर इस फोटोग्राफ का गौर से अध्ययन किया जाये तो साफ हो जायेगा कि कुछ मूल फोटोग्राफ्स से छोड़छाड़ कर इस फोटोग्राफ को तैयार किया गया है। मुनि तरूण सागर के प्रचार प्रसार और कार्यक्रमों को मूर्तरूप देने वाले कुछ लोगों ने भी दबे स्वर में स्वीकारा है कि श्वेताम्बर जैन मुनियों, मुनि ललितप्रभ सागर और मुनि चंद्रप्रभ सागर के फोटोग्राफ्स के साथ छेड़छाड़ हुई है और इसकी सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर इस कृत्य के पीछे के रहस्य को उजागर किया जाना आवश्यक है।
समग्र जैन एकता का जहां तक सवाल है, दिगम्बर और श्वेताम्बर सामाजिक संगठन इस जैन एकता के पाखण्ड से कोसों दूर हैं। आमन्त्रण पत्रिका पर जिन लोगों के नाम अंकित हैं उनके लिये मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला ने बताया कि हमने इन लोगों को चातुर्मास आयोजन समिति में शामिल होने का आग्रह किया था और जिन लोगों की स्वीकृति आई और जिन लोगों ने जवाब नहीं दिया, उनकी भी स्वीकृति मानते हुए उन्हें चातुर्मास समिति में शामिल कर लिया! हमने दिगम्बर हो या फिर श्वेताम्बर, किसी भी सामाजिक संगठन से न तो सम्पर्क किया और न ही आवश्यकता समझी। गत 25 जून को शिवजीराम भवन में हुई बैठक में इस सम्बन्ध में उठे मुद्दे पर माणक काला ने कहा कि दिगम्बर-श्वेताम्बर एकता पर ये लोग बैठकें करते रहें लेकिन कार्यक्रम प्रबंधन से चातुर्मास आयोजन समिति या अन्य किसी समिति का कोई लेना-देना नहीं है। इस कार्यक्रम को इवेन्ट मैनेजमैंट की तर्ज पर सम्पन्न करवाया जायेगा और टेंट हाऊस, केटरिंग से लेकर सभी काम प्रोफेशनल्स करेंगे और चातुर्मास समिति सहित किसी भी समाज संगठन की कोई सहभागिता या दखल नहीं होगा!
मुनि तरूण सागर चातुर्मास समिति के संयोजक माणक काला ने उदाहरण देते हुए बताया कि पांडाल में प्रवेश हेतु प्राइवेट सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे और वे ही आगन्तुकों के प्रवेश को नियन्त्रित करेंगे। दिगम्बर या श्वेताम्बर समाज के युवा संगठनों या स्वंयसेवकों का इसमें कोई दखल नहीं होगा।
चातुर्मास समिति के संयोजक माणक काला ने साफगोई से यह भी कहा कि जैन साहब यह माणक काला का वनमैन शो है। कोई साथ दे तो ठीक है और साथ न दे तो ठीक! उन्होंने हमें यह भी कहा कि आप चाहें तो मुनिश्री से आपकी मुलाकात भी करवाने की व्यवस्था करवा सकता हूं, जिसे हमने टाल दिया!
उधर श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन एकता के पाखण्ड की आड़ में कुछ लोगों ने राजनैतिक सुट्टे सेकने शुरू कर दिये हैं। अपने आप को जैन जगत का मीडिया आरोपित करने वाले एक साप्ताहिक में तो कांग्रेस से विधानसभा का टिकट मांगने वाले स्वंयभूं उम्मीदवार ने अपना दो पेज का विज्ञापन भी छपवाया है।
मुनि तरूण सागर चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक माणक काला ने इन मीडिया जी को चातुर्मास समिति का प्रवक्ता बनाया है। जब माणक काला से इस मुद्दे पर इस प्रतिनिधि की चर्चा हुई तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि ये कमेटियां केवल मात्र खानापूर्तियां है और इन लोगों के पास कोई भौतिक जुम्मेदारी न तो है और न ही रहेगी।
हम इस कथित श्वेताम्बर-दिगम्बर जैन एकता के पाखण्ड के अंदर की सच्चाईयां अगले अंकों में विस्तार से लिखेंगे। हम उन जानकारियों को भी उजागर करेंगे जो 18 करोड़ के पैकेज से जुड़ी है। क्रमश: