नई दिल्ली/जयपुर (अग्रगामी) कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस ही साल आगामी नवम्बर, 2013 में लोकसभा चुनाव एवं आठ राज्यों की विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के फार्मूले पर तेजी से काम कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के अन्दरूनी सूत्र बताते हैं कि राज्य पार्टी प्रमुखों को 30 जून तक विधानसभा वाइज उम्मीदवार तैय करने के निर्देश दिये गये हैं। ताकि उन्हें उनके विधानसभा क्षेत्रों में भावी पार्टी उम्मीदवार के रूप में जनसम्पर्क के लिये भेजा जा सके! सूत्र यह भी बताते हैं कि पार्टी थ्री टीयर सिस्टम में उम्मीदवारों के चयन की तैयारी का खाका बना चुकी है, जिस में स्थानीय स्तर, राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग और हाईकमान के अंतिम फैसले के बाद ही उम्मीदवार अपने निर्धारित चुनाव क्षेत्र में जनसम्पर्क के लिये जायेंगे। यह काम किसी भी हालत में 30 जून से पहिले पूरा करने के निर्देश हाईकमान ने दिये हैं।
उधर आगामी नवम्बर में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, नगालैण्ड, राजस्थान और दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ हरियाणा और आंध्र प्रदेश में भी चुनाव करवाने की तैयारी के साथ ही कांग्रेस पार्टी हाईकमान अब झारखण्ड में भी चुनाव करवाने की रणनीति बना रहा है। झारखण्ड सहित इन आठ राज्यों में से झारखण्ड, छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश माओवादी प्रभावित क्षेत्र है, साथ ही तेलंगाना राष्ट्रीय समिति की अलग तेलंगाना राज्य की मांग से भी कांग्रेस परेशान है।
चूंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवम्बर, 2013 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों तथा आगामी वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों के साथ आंध्र और झारखण्ड की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर विभाजित हैं वहीं भारी तादाद में सांसद लोकसभा चुनावों से किनारा कर विधानसभा चुनावों में भाग्य आजमाने का मानस बना रहे हैं ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनावों में जितनी देरी की जायेगी उतना ही कांग्रेस की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे जाता जायेगा और यहां तक की कर्नाटक की जीत का भी पार्टी फायदा नहीं उठा पायेगी, अत: परिस्थितियों का आंकलन कर हाईकमान भी नवम्बर, 2013 में आठ राज्यों और लोकसभा के चुनाव करवाने का लगभग फैसला ले चुका है और कुछ चुनिन्दा सांसदों को फील्ड सम्भालने का निर्देश भी दिया जा चुका बताया जाता है।
उधर चुनावों के मद्देनजर खाद्य सुरक्षा बिल पास करवाने के लिये कांग्रेस पार्टी हाथ-पांव मार रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का साफ मानना है कि अगर खाद्य सुरक्षा बिल किन्ही कारणों से संसद में पास नहीं हो सकता है तो अध्यादेश के जरिये संस्थापित करवा दिया जायेगा! इससे भी साफ है कि चुनाव जल्दी होंगे।
अत: अब लगभग तैय है कि आठ राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा चुनावों का आगामी नवम्बर, 2013 में होना लगभग तैय है।
उधर आगामी नवम्बर में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, नगालैण्ड, राजस्थान और दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ हरियाणा और आंध्र प्रदेश में भी चुनाव करवाने की तैयारी के साथ ही कांग्रेस पार्टी हाईकमान अब झारखण्ड में भी चुनाव करवाने की रणनीति बना रहा है। झारखण्ड सहित इन आठ राज्यों में से झारखण्ड, छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश माओवादी प्रभावित क्षेत्र है, साथ ही तेलंगाना राष्ट्रीय समिति की अलग तेलंगाना राज्य की मांग से भी कांग्रेस परेशान है।
चूंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवम्बर, 2013 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों तथा आगामी वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों के साथ आंध्र और झारखण्ड की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर विभाजित हैं वहीं भारी तादाद में सांसद लोकसभा चुनावों से किनारा कर विधानसभा चुनावों में भाग्य आजमाने का मानस बना रहे हैं ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनावों में जितनी देरी की जायेगी उतना ही कांग्रेस की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे जाता जायेगा और यहां तक की कर्नाटक की जीत का भी पार्टी फायदा नहीं उठा पायेगी, अत: परिस्थितियों का आंकलन कर हाईकमान भी नवम्बर, 2013 में आठ राज्यों और लोकसभा के चुनाव करवाने का लगभग फैसला ले चुका है और कुछ चुनिन्दा सांसदों को फील्ड सम्भालने का निर्देश भी दिया जा चुका बताया जाता है।
उधर चुनावों के मद्देनजर खाद्य सुरक्षा बिल पास करवाने के लिये कांग्रेस पार्टी हाथ-पांव मार रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का साफ मानना है कि अगर खाद्य सुरक्षा बिल किन्ही कारणों से संसद में पास नहीं हो सकता है तो अध्यादेश के जरिये संस्थापित करवा दिया जायेगा! इससे भी साफ है कि चुनाव जल्दी होंगे।
अत: अब लगभग तैय है कि आठ राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा चुनावों का आगामी नवम्बर, 2013 में होना लगभग तैय है।