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जीरम घाटी के जख्म!

दरभा-जीरम घाटी इलाके में गत 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए माओवादियों के प्रतिशोधात्मक हमले को तीन हफ्ते बीत चुके हैं। नेशनल इन्वेस्टीगेशन ऐजेंसी मामले की पड़ताल में जुटी बताई जाती है, लेकिन तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी उस प्राथमिक जांच रिपोर्ट तक भी सार्वजनिक नहीं हुई है। एनआईए की जांच करने की ढीली रफ्तार के कारण अब धीरे-धीरे इस केंद्रीय जांच ऐजेंसी के काम करने के तौर तरीकों पर भी उंगली उठनी शुरू हो गई है। क्योंकि उसकी जांच में मौके पर एसपीजी सहित अन्य ऐजेंसियों ने मदद की थी!
उधर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा न्यायिक जांच की घोषणा भी अभी तक मूर्तरूप नहीं ले सकी है। हालात यह है कि न्यायिक जांच हेतु कोई नोटिफिकेशन अभी तक जारी ही नहीं हुआ है। नतीजन तीन महिनों में न्यायिक जांच पूरा होना सम्भव नहीं है। कांग्रेस पार्टी भी इस न्यायिक जांच पर सवालिया निशान लगा रही है।
लेकिन इन सब से परे हट कर हम जीरम घाटी के जख्मों के मानवीय पहलू की ओर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे! अगर बड़े नेताओं की बात छोडें तो जीरम घाटी के हादसे में कांग्रेस पार्टी के मझले और छोटे स्तर के कार्यकर्ता, चौपहिया वाहनों के चालक और सुरक्षाकर्मियों सहित नेताओं के पर्सनल स्टाफ में से मारे गये लोगों को शायद राजनेता हादसे के साथ ही भूल गये नजर आते हैं। जीरम घार्टी हादसे में मारे गये लोगों और उनके परिवारों की सुध लेने वाला कांग्रेस सहित किसी भी राजनैतिक दल में कोई भी नेता नजर नहीं आ रहा है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पीडि़त परिवारों की सुध लेने के बारे में शायद सोचा तक नहीं है। एनआईए या फिर न्यायिक जांच से क्या पीडि़त परिवारों की समस्याऐं दूर हो जायेंगी! पीडि़त परिवारों को तो तत्काल आर्थिक सहयोग और सम्बल की जरूरत है और उनके भविष्य के भरणपोषण और उनकी विधवा और अनाथ हुए बच्चों को तत्काल व दीर्धकालीन पुनर्वास सहायता की जरूरत है।
क्या राजनैतिक पार्टियां बड़े राजनेताओं की जागीरें हैं? और कार्यकर्ता उनके बंधुआ मजदूर! क्योंकि कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने या राज्य सरकार ने अभी तक मृतकों को आर्थिक सहयोग देने और पीडि़त परिवारों के भविष्य की चिंता अभी तक नहीं है। वहीं सुरक्षाकर्मियों के लिये भी कोई आर्थिक पैकेज घोषित नहीं हुआ है।
क्या जीरम घाटी के जख्म, खुले जख्म ही रहेंगे या फिर उन पर महरम लगाने की कवायद तत्काल शुरू होगी। देखना यही है!

 
AGRAGAMI SANDESH

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