जयपुर (अग्रगामी) प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी अफसरों-कारिंदों की सामन्तवादी करतूतों और अत्याचारों से अवाम को बचाने के लिये तत्काल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर राज्यपाल की अगुआई में सिविल प्रशासन को सेना के हवाले कर उसकी देखरेख में आगामी चुनाव सम्पन्न करवाये जायें। आल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने यह मांग करते हुए आगे कहा कि राज्य में सिविल प्रशासन पूरी तरह चरमरा गया है और पूरी सरकारी मशीनरी को अघोषित रूप से कांग्रेस को चुनावी जीत दिलवाने के लिये झौंक दिया गया है।
कामरेड़ हीराचंद जैन ने बताया कि पिछले एक साल से राज्य में सिविल प्रशासन गायब है। राज्य सरकार ने पहिले राज्य के अफसरों और कर्मचारियों को प्रशासन गांवों के संग अभियान में उतार दिया, उसके बाद पूरे प्रशासन शहरों के संग अभियान में झौंक दिया गया और अब विशेष पेंशन महाअभियान-2013 में पूरा प्रशासन जुटा हुआ है और आम अवाम को छोटे-छोटे कामों के लिये दफ्तर दर दफ्तर, अफसर दर अफसर भटकना पड़ रहा है, लेकिन दफ्तरों से अफसर और कारिंदे लापता हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया है कि बिजली, पानी, सफाई, राशन की दुकानों से जुडी समस्याओं और अन्य छोटी मोटी शिकायतें सुनने के लिये तहसीलदार, उपखण्ड अधिकारी, स्थानीय निकायों के अधिकारी दफ्तर में नहीं मिलते हैं नतीजन अवाम हैरान परेशान दर-दर भटकने के लिये मजबूर है। अब सरकार तबादलों पर लगी पाबन्दी हटाने की तैयारी में है नतीजन प्रदेश की सारी नौकरशाही तबादले करने-करवाने में जुट जायेगी और पूरा सिविल प्रशासन लगभग ठप्प हो जायेगा। ऐसे में अवाम अपनी फरियाद लेकर कहां जाये?
प्रदेश में खासकर राज्य की राजधानी में अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों की बाढ़ आ गई है। राजस्थान हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों-निर्देशों की धज्जियां उडाई जा रही है। लेकिन अपनी सत्ता बचाने और सत्ता पर काबिज होने की अंधी दौड़ में जुटे खुदगर्ज राजनेता अवाम की दु:ख तकलीफों को दरकिनार कर अपना सुट्टा सेकने में लगे हैं!
कामरेड़ हीराचंद जैन ने साफ-साफ आरोप लगाया कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार अपने चहेते राज्य कर्मचारियों को बेलगाम कर, उन्हें ऊपर की कमाई की खुली छूट देकर अपने हित साधन में जुटी है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य की राजधानी जयपुर में भारी तादाद में सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की शह पर अतिक्रमण और गैर कानूनी निर्माण हो रहे हैं, लेकिन न तो अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों को रोका जा रहा है और न ही दोषी राज्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है।
बलात्कार और यौन शोषण के बीसियों मामले उजागर हो चुके हैं लेकिन दोषियों और उन्हें पनाह देने वाले राज्यकर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है!
प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पैंदे बैठी हुई है। अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों का बोलबाला है। बलात्कार और यौन शोषण करने वालों के हौंसले बुलन्द हैं। किसी भी सरकारी दफ्तर में रिश्वत दिये बिना कोई काम नहीं होता है। ऐसी स्थिति में आगामी विधानसभा चुनावों तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा कर प्रशासन की बागडोर राज्यपाल को सौंपी जानी चाहिये और उनके सहयोग के लिये इन एड़ टू सिविल पावर सेना को प्रशासन की बागडोर राज्यपाल की निगरानी में सौंपी जानी चाहिये ताकि चुनावों तक आम अवाम को सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था उपलबध हो सके।
कामरेड़ हीराचंद जैन ने बताया कि पिछले एक साल से राज्य में सिविल प्रशासन गायब है। राज्य सरकार ने पहिले राज्य के अफसरों और कर्मचारियों को प्रशासन गांवों के संग अभियान में उतार दिया, उसके बाद पूरे प्रशासन शहरों के संग अभियान में झौंक दिया गया और अब विशेष पेंशन महाअभियान-2013 में पूरा प्रशासन जुटा हुआ है और आम अवाम को छोटे-छोटे कामों के लिये दफ्तर दर दफ्तर, अफसर दर अफसर भटकना पड़ रहा है, लेकिन दफ्तरों से अफसर और कारिंदे लापता हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया है कि बिजली, पानी, सफाई, राशन की दुकानों से जुडी समस्याओं और अन्य छोटी मोटी शिकायतें सुनने के लिये तहसीलदार, उपखण्ड अधिकारी, स्थानीय निकायों के अधिकारी दफ्तर में नहीं मिलते हैं नतीजन अवाम हैरान परेशान दर-दर भटकने के लिये मजबूर है। अब सरकार तबादलों पर लगी पाबन्दी हटाने की तैयारी में है नतीजन प्रदेश की सारी नौकरशाही तबादले करने-करवाने में जुट जायेगी और पूरा सिविल प्रशासन लगभग ठप्प हो जायेगा। ऐसे में अवाम अपनी फरियाद लेकर कहां जाये?
प्रदेश में खासकर राज्य की राजधानी में अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों की बाढ़ आ गई है। राजस्थान हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों-निर्देशों की धज्जियां उडाई जा रही है। लेकिन अपनी सत्ता बचाने और सत्ता पर काबिज होने की अंधी दौड़ में जुटे खुदगर्ज राजनेता अवाम की दु:ख तकलीफों को दरकिनार कर अपना सुट्टा सेकने में लगे हैं!
कामरेड़ हीराचंद जैन ने साफ-साफ आरोप लगाया कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार अपने चहेते राज्य कर्मचारियों को बेलगाम कर, उन्हें ऊपर की कमाई की खुली छूट देकर अपने हित साधन में जुटी है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य की राजधानी जयपुर में भारी तादाद में सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की शह पर अतिक्रमण और गैर कानूनी निर्माण हो रहे हैं, लेकिन न तो अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों को रोका जा रहा है और न ही दोषी राज्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है।
बलात्कार और यौन शोषण के बीसियों मामले उजागर हो चुके हैं लेकिन दोषियों और उन्हें पनाह देने वाले राज्यकर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है!
प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पैंदे बैठी हुई है। अतिक्रमणों और गैर कानूनी निर्माणों का बोलबाला है। बलात्कार और यौन शोषण करने वालों के हौंसले बुलन्द हैं। किसी भी सरकारी दफ्तर में रिश्वत दिये बिना कोई काम नहीं होता है। ऐसी स्थिति में आगामी विधानसभा चुनावों तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा कर प्रशासन की बागडोर राज्यपाल को सौंपी जानी चाहिये और उनके सहयोग के लिये इन एड़ टू सिविल पावर सेना को प्रशासन की बागडोर राज्यपाल की निगरानी में सौंपी जानी चाहिये ताकि चुनावों तक आम अवाम को सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था उपलबध हो सके।