जयपुर (अग्रगामी) जयपुर नगर निगम के विद्याधर नगर जोन में पट्टा देने के बदले घूस लेने वाले क्लर्क मदन बागडा को पकडने गई भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम से धक्का-मुक्की करने और राजकार्य में बाधा पहुंचाने का एक मामला एसीबी के उप अधीक्षक नीलकमल ने भट्टा बस्ती थाने में नगर निगम के विद्याधर नगर जोन के आयुक्त कैलाश चंद शर्मा, प्रदीप तिवाडी व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज करवाया है। कैलाशचंद शर्मा की राजस्थान प्रशासनिक सेवा में यह पहली नियुक्ति है। कैलाशचंद शर्मा आरएएस के तौर पर आयुक्त नगर निगम जयपुर में 11 फरवरी, 2013 को ही नियुक्त किये गये हैं।
सूत्र बताते हैं कि जयपुर नगर निगम के विद्याधर नगर जोन में अपनी नियुक्ति के तुरन्त बाद कैलाशचंद शर्मा ने बिल्डर माफिया से अपने रसुकात बढ़ा लिये और बिल्डर माफिया के खिलाफ शिकयत लेकर आने वालों से बेरूखा और अभद्र व्यवहार करते रहे।
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने बताया कि गत 04 अप्रेल, 2013 को उन्होंने विद्याधर नगर जोन के इन्ही आयुक्त को उनके जोन में एक निर्माणाधीन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स और दो अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये लिखित में शिकायत की थी। इस शिकायत पर प्रसंज्ञान लेते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एम्पावर्ड कमेटी ने भी जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव को पत्र लिखा था।
नाहरी का नाका, पावर हाऊस रोड़, झूलेलाल पार्क के सामने स्थित प्लाट नम्बर बी-48 और बी-50 पर बन चुके अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों और प्लाट नम्बर बी-49 पर बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के बारे में जब उन्हें सक्षम कार्यवाही के लिये कहा गया तो वे तमतमा उठे। लेकिन जब उन्हें कानून सम्मत तरीके से काम करने के लिये कहा गया तब जाकर वे अपनी राठौडी से बाज आये।
शर्मनाक स्थिति यह रही कि पहली बार राजस्थान प्रशासनिक सेवा में लगे आयुक्त कैलाश चंद शर्मा आज तक इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों की फाइलें दबा कर इस तरह बैठे हैं जैसे वे इनकी बपौती हों!
फारवर्ड ब्लाक ने जयपुर नगर निगम की महापौर ज्योति खण्डेलवाल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव से मांग की है कि विद्याधर नगर जोन में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के इस मामले सहित अन्य मामलों को भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपा जायें ताकि राजस्थान प्रशासनिक सेवा में आये इन नये मुल्ला जी को भ्रष्टाचार की गंगा में तैरने से रोका जा सके!
सूत्र बताते हैं कि जयपुर नगर निगम के विद्याधर नगर जोन में अपनी नियुक्ति के तुरन्त बाद कैलाशचंद शर्मा ने बिल्डर माफिया से अपने रसुकात बढ़ा लिये और बिल्डर माफिया के खिलाफ शिकयत लेकर आने वालों से बेरूखा और अभद्र व्यवहार करते रहे।
ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के राजस्थान स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने बताया कि गत 04 अप्रेल, 2013 को उन्होंने विद्याधर नगर जोन के इन्ही आयुक्त को उनके जोन में एक निर्माणाधीन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स और दो अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये लिखित में शिकायत की थी। इस शिकायत पर प्रसंज्ञान लेते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एम्पावर्ड कमेटी ने भी जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव को पत्र लिखा था।
नाहरी का नाका, पावर हाऊस रोड़, झूलेलाल पार्क के सामने स्थित प्लाट नम्बर बी-48 और बी-50 पर बन चुके अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों और प्लाट नम्बर बी-49 पर बनाये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के बारे में जब उन्हें सक्षम कार्यवाही के लिये कहा गया तो वे तमतमा उठे। लेकिन जब उन्हें कानून सम्मत तरीके से काम करने के लिये कहा गया तब जाकर वे अपनी राठौडी से बाज आये।
शर्मनाक स्थिति यह रही कि पहली बार राजस्थान प्रशासनिक सेवा में लगे आयुक्त कैलाश चंद शर्मा आज तक इन अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्सों की फाइलें दबा कर इस तरह बैठे हैं जैसे वे इनकी बपौती हों!
फारवर्ड ब्लाक ने जयपुर नगर निगम की महापौर ज्योति खण्डेलवाल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव से मांग की है कि विद्याधर नगर जोन में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के इस मामले सहित अन्य मामलों को भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपा जायें ताकि राजस्थान प्रशासनिक सेवा में आये इन नये मुल्ला जी को भ्रष्टाचार की गंगा में तैरने से रोका जा सके!