जयपुर (अग्रगामी) धर्म की आड में सरकारी एवं सार्वजनिक सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लगभग 40 हजार रूपये की कीमत से बना 151 किलो का लड्डू भेंट करने और जयपुर नगर निगम के उपमहापौर को एक टोकरा लड्डू भेंट करने वाले मातीडूंगरी पंचमुखी हनुमान मंदिर के कथित महन्त हनुमानदास की असलियत का हमने अग्रगामी संदेश के 29 अप्रेल के अंक में विस्तार से खुलासा किया था।
जयपुर नगर निगम के वार्ड 52 चौकडी घाटगेट स्थित श्री वीर बालिका महाविद्यालय और एमरेल्ड टॉवर के सामने तथा श्री वीर बालिका सीनियर सैकण्डरी स्कूल के पीछे बगीची टिक्कीवालान पर राठौडी से कब्जा जमा कर तथा छह फुट चौडी गली सरकारी पर गैरकानूनी अतिक्रमण कर न्यायालय के स्थगन आदेशों की अवहेलना के साथ-साथ राज्य सरकार के आदेश दिनांक 13 जून, 2012 तथा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245 तथा 287 का गम्भीर उलंघन कर बिना इजाजत कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की जुगत में जुटे स्वंयभू महन्त हनुमानदास की इस करतूत का स्थानीय नागरिकों तथा स्कूल प्रशासन ने विरोध किया तो अपने बचाव के लिये हनुमानदास पहुंच गये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नगर निगम के उपमहापौर मनीष पारीक के पास अपनी गैरकानूनी करतूतों के लिये सिफारिश कराने हेतु लड्डू लेकर!
ज्ञातव्य रहे कि न्यायालय अपर जिला सेशन न्यायाधीश क्रम संख्या-6, जयपुर नगर, जयपुर ने अपने फैसले दिनांक 12 अगस्त, 1998 में स्पष्ट लिखा है कि नाथूराम टिक्कीवालान की इस बगीची में उसके मर माने पर हरकिशन दायमा द्वारा कब्जे के प्रयास पर टिक्कीवालान के पंचान द्वारा दरबार में प्रार्थना पत्र देने पर हरकिशन दायमा का झगडा समाप्त करके बगीची ठाकुरजी री के तुलछी पत्रर पुष्प वास्ते मुसारन अलेह पुन हितार्थ दी अंकित किया है। इस कथन को इस दस्तावेज की प्रथम दो पंक्तियों के संबंध में पढा जाए तो यह गोपालदास पुजारी मंदिर टिक्कीवालान के संदर्भ लिखा गया दस्तावेज है और इसका अभिप्राय यही निकलता है कि यह बगीची ठाकुरजी की तुलछी पत्रर और पुष्पादि पूजा अर्चना के सामग्री के लिए पुन्य कमाने हेतु दी गई है।
हमारी सम्मति में यह निष्कर्ष इस दस्तावेज का विधि सम्मत मान्य नहीं होगा। इस दस्तावेज में जो परिभाष का प्रयोग किया गया है वह गोपालदास को पुजारी के रूप में सम्बोधित कर किया गया है। यह मात्र उसकी पहचान के लिये हो ऐसा अभिप्राय दस्तावेज से प्रकट नहीं होता है। यह बगीची ठाकुरजी की सेवा अर्चना में प्रयोग के लिए तुलछी पत्रर पुष्प आदि पूजा सामग्री के लिये ही दी जाना जाहिर होता है। बगीची का जो मन्तव्य इस दस्तावेज में व्यक्त किया गया है वह किसी निर्माण की स्वीकृति नहीं है, अपितु यह तुलछी पत्रर पुष्प ठाकुरजी के चढावे के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है जिससे अभिप्राय इस प्रयोजनार्थ वृक्षारोपण कर कथित भूमि को बगीची के रूप में तैयार करने से ही लिया जा सकता है। इस पत्र के द्वारा यह भी कहा गया है कि यह सामग्री ठाकुरजी के चढायी जाए तथा श्री जी जिसका तात्पर्य जयपुर नरेश का होना, पक्षकारान ने होना व्यक्त किया है कि माला चढाने और आर्शीवाद देने से कोई समसया नहीं होने का कथन किया गया है। जिसका तात्पर्य भी यही प्रतीत होता है कि ऐसा करने करने वाला व्यक्ति जयपुर नरेश की कुशलता के लिए कामना करता रहेगा और इस पुन्य की प्राप्ति के लिए यह बगीची तत्कालीन पुजारी को दी गई थी। इसके साथ किसी स्वामित्व का अधिकार प्राप्त करने का कोई उल्लेख नहीं है, न ही पुजारी के उत्तराधिकार बाबत कोई उल्लेख इस दस्तावेज में किया गया है।
न्यायालय ने अपने निर्णय में आगे लिखा है कि परन्तु जैसा विवेचन किया गया है और जैसा विद्वान अधीनस्थ न्यायालय ने भी विवेचन किया है यह बगीची ठाकुरजी की सेवा के लिए तुलछी पत्रर पुष्प आदि की व्यवस्था हेतु पुजारी को पुन्य के लिए दी गई थी और इससे तैयार करके ठाकुरजी पर तुलछी पत्रर पुष्पादि चढाने व जयपुर नरेश की कुशलता की प्रार्थना करने के लिए कहते हुए इस व्यवस्था के रहते कि कोई समस्या नहीं होने का कथन किया गया कथन है। हमारी सम्मति में यह इस बात को स्पष्ट करता है कि यह बगीची अपीलार्थी को यह पंचान टिक्कीवालान को नहीं दी जाकर ठाकुरजी की पत्रर पुष्प चढाने के लिए उससे पुन्य प्राप्ति के प्रयोजन से जयपुर रियासत द्वारा दी गई। जिससे यह बगीची इसी प्रयोजन के लिए ही प्रयोग में ली जा सकती है।
न्यायालय अतिरिक्त अपर जिला व सेशन न्यायाधीश क्रम-6, जयपुर नगर, जयपुर के 12 अगस्त, 1998 के फैसले से साफ जाहिर है कि बगीची टिक्कीवालान ठाकुरजी की सम्पत्ति है और हनुमानदास का इस सम्पत्ति से कोई लेनादेना नहीं है। गम्भीर स्थिति यह है कि हनुमानदास बगीची टिक्कीवालान का न तो मालिक है न ही सम्बन्धित ठाकुरजी का सेवायतन या पुजारी है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि वस्तुस्थिति की सारी जानकारी जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा एवं इनके अधीनस्थ कारिन्दों को होते हुए और इससे सम्बन्धित आवश्यक दस्तावेज नगर निगम के हवामहला जोन पूर्व के आयुक्त कार्यालय में उपलब्ध होते हुए तथा अदालती स्थगन आदेश प्राप्त होने के बाद भी आयुक्त मदन कुमार शर्मा और इनके अधीनस्थों ने अदालत के आदेशाों की अवमानना कर इस बगीची में अवैध निर्माण अपनी छत्रछाया में करवा दिये। जबकि खुद जयपुर नगर निगम ने भी इस बगीची में निर्माण की कोई स्वीकृति नहीं दी है। यही नहीं निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने खुद दो बार मौका मुआयना भी किया है। मौके पर उन्होंने देखा है कि सार्वजनिक कुंए और दशकों पुराने पीपल के पेड़ को भी अवैध निर्माण की जद में ले लिया गया है और सार्वजनिक चौक पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है। लेकिन जोन आयुक्त मदन कुमर शर्मा ने एडीजे-6, जयपुर नगर, जयपुर के आदेश दिनांक 12 अगस्त, 1998 तथा अपर न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड क्रम संख्या-4 जयपुर महानगर के स्थगन आदेश दिनांक 30 जून, 2012 तथा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245, 287 तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के क्रम में दोषियों के खिलाफ कोई सक्षम कार्यवाही नहीं की और आज भी गैरकानूनी और बिना इजाजत तामीरात भूमाफियाओं, बिल्डर माफियाओं के संरक्षण में हनुमानदास द्वारा चिलमची चमचों की भीड़ इकठ्ठी कर करवाये जा रहे हैं तथा हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा एवं इनके अधीनस्थों का हनुमानदास को संरक्षण प्राप्त है।
उधर श्री वीर बालिका सीनियर सैकण्डरी स्कूल प्रबंधन जयपुर नगर निगम को जानकारी देने के बावजूद कार्यवाही नहीं करने के चलते अदालत को विस्तृत तथ्यों से अवगत करवाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं स्थानीय निवासी भी एकजुट होते जा रहे हैं और राज्य सरकार को नगर निगम के गैरजुम्मेदारान अफसरों को तत्काल निलम्बित करने की मांग का ज्ञापन देने की तैयारी कर रहे हैं।
जयपुर नगर निगम के वार्ड 52 चौकडी घाटगेट स्थित श्री वीर बालिका महाविद्यालय और एमरेल्ड टॉवर के सामने तथा श्री वीर बालिका सीनियर सैकण्डरी स्कूल के पीछे बगीची टिक्कीवालान पर राठौडी से कब्जा जमा कर तथा छह फुट चौडी गली सरकारी पर गैरकानूनी अतिक्रमण कर न्यायालय के स्थगन आदेशों की अवहेलना के साथ-साथ राज्य सरकार के आदेश दिनांक 13 जून, 2012 तथा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245 तथा 287 का गम्भीर उलंघन कर बिना इजाजत कॉमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की जुगत में जुटे स्वंयभू महन्त हनुमानदास की इस करतूत का स्थानीय नागरिकों तथा स्कूल प्रशासन ने विरोध किया तो अपने बचाव के लिये हनुमानदास पहुंच गये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नगर निगम के उपमहापौर मनीष पारीक के पास अपनी गैरकानूनी करतूतों के लिये सिफारिश कराने हेतु लड्डू लेकर!
ज्ञातव्य रहे कि न्यायालय अपर जिला सेशन न्यायाधीश क्रम संख्या-6, जयपुर नगर, जयपुर ने अपने फैसले दिनांक 12 अगस्त, 1998 में स्पष्ट लिखा है कि नाथूराम टिक्कीवालान की इस बगीची में उसके मर माने पर हरकिशन दायमा द्वारा कब्जे के प्रयास पर टिक्कीवालान के पंचान द्वारा दरबार में प्रार्थना पत्र देने पर हरकिशन दायमा का झगडा समाप्त करके बगीची ठाकुरजी री के तुलछी पत्रर पुष्प वास्ते मुसारन अलेह पुन हितार्थ दी अंकित किया है। इस कथन को इस दस्तावेज की प्रथम दो पंक्तियों के संबंध में पढा जाए तो यह गोपालदास पुजारी मंदिर टिक्कीवालान के संदर्भ लिखा गया दस्तावेज है और इसका अभिप्राय यही निकलता है कि यह बगीची ठाकुरजी की तुलछी पत्रर और पुष्पादि पूजा अर्चना के सामग्री के लिए पुन्य कमाने हेतु दी गई है।
हमारी सम्मति में यह निष्कर्ष इस दस्तावेज का विधि सम्मत मान्य नहीं होगा। इस दस्तावेज में जो परिभाष का प्रयोग किया गया है वह गोपालदास को पुजारी के रूप में सम्बोधित कर किया गया है। यह मात्र उसकी पहचान के लिये हो ऐसा अभिप्राय दस्तावेज से प्रकट नहीं होता है। यह बगीची ठाकुरजी की सेवा अर्चना में प्रयोग के लिए तुलछी पत्रर पुष्प आदि पूजा सामग्री के लिये ही दी जाना जाहिर होता है। बगीची का जो मन्तव्य इस दस्तावेज में व्यक्त किया गया है वह किसी निर्माण की स्वीकृति नहीं है, अपितु यह तुलछी पत्रर पुष्प ठाकुरजी के चढावे के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है जिससे अभिप्राय इस प्रयोजनार्थ वृक्षारोपण कर कथित भूमि को बगीची के रूप में तैयार करने से ही लिया जा सकता है। इस पत्र के द्वारा यह भी कहा गया है कि यह सामग्री ठाकुरजी के चढायी जाए तथा श्री जी जिसका तात्पर्य जयपुर नरेश का होना, पक्षकारान ने होना व्यक्त किया है कि माला चढाने और आर्शीवाद देने से कोई समसया नहीं होने का कथन किया गया है। जिसका तात्पर्य भी यही प्रतीत होता है कि ऐसा करने करने वाला व्यक्ति जयपुर नरेश की कुशलता के लिए कामना करता रहेगा और इस पुन्य की प्राप्ति के लिए यह बगीची तत्कालीन पुजारी को दी गई थी। इसके साथ किसी स्वामित्व का अधिकार प्राप्त करने का कोई उल्लेख नहीं है, न ही पुजारी के उत्तराधिकार बाबत कोई उल्लेख इस दस्तावेज में किया गया है।
न्यायालय ने अपने निर्णय में आगे लिखा है कि परन्तु जैसा विवेचन किया गया है और जैसा विद्वान अधीनस्थ न्यायालय ने भी विवेचन किया है यह बगीची ठाकुरजी की सेवा के लिए तुलछी पत्रर पुष्प आदि की व्यवस्था हेतु पुजारी को पुन्य के लिए दी गई थी और इससे तैयार करके ठाकुरजी पर तुलछी पत्रर पुष्पादि चढाने व जयपुर नरेश की कुशलता की प्रार्थना करने के लिए कहते हुए इस व्यवस्था के रहते कि कोई समस्या नहीं होने का कथन किया गया कथन है। हमारी सम्मति में यह इस बात को स्पष्ट करता है कि यह बगीची अपीलार्थी को यह पंचान टिक्कीवालान को नहीं दी जाकर ठाकुरजी की पत्रर पुष्प चढाने के लिए उससे पुन्य प्राप्ति के प्रयोजन से जयपुर रियासत द्वारा दी गई। जिससे यह बगीची इसी प्रयोजन के लिए ही प्रयोग में ली जा सकती है।
न्यायालय अतिरिक्त अपर जिला व सेशन न्यायाधीश क्रम-6, जयपुर नगर, जयपुर के 12 अगस्त, 1998 के फैसले से साफ जाहिर है कि बगीची टिक्कीवालान ठाकुरजी की सम्पत्ति है और हनुमानदास का इस सम्पत्ति से कोई लेनादेना नहीं है। गम्भीर स्थिति यह है कि हनुमानदास बगीची टिक्कीवालान का न तो मालिक है न ही सम्बन्धित ठाकुरजी का सेवायतन या पुजारी है।
शर्मनाक स्थिति यह है कि वस्तुस्थिति की सारी जानकारी जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा एवं इनके अधीनस्थ कारिन्दों को होते हुए और इससे सम्बन्धित आवश्यक दस्तावेज नगर निगम के हवामहला जोन पूर्व के आयुक्त कार्यालय में उपलब्ध होते हुए तथा अदालती स्थगन आदेश प्राप्त होने के बाद भी आयुक्त मदन कुमार शर्मा और इनके अधीनस्थों ने अदालत के आदेशाों की अवमानना कर इस बगीची में अवैध निर्माण अपनी छत्रछाया में करवा दिये। जबकि खुद जयपुर नगर निगम ने भी इस बगीची में निर्माण की कोई स्वीकृति नहीं दी है। यही नहीं निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने खुद दो बार मौका मुआयना भी किया है। मौके पर उन्होंने देखा है कि सार्वजनिक कुंए और दशकों पुराने पीपल के पेड़ को भी अवैध निर्माण की जद में ले लिया गया है और सार्वजनिक चौक पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है। लेकिन जोन आयुक्त मदन कुमर शर्मा ने एडीजे-6, जयपुर नगर, जयपुर के आदेश दिनांक 12 अगस्त, 1998 तथा अपर न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड क्रम संख्या-4 जयपुर महानगर के स्थगन आदेश दिनांक 30 जून, 2012 तथा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245, 287 तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के क्रम में दोषियों के खिलाफ कोई सक्षम कार्यवाही नहीं की और आज भी गैरकानूनी और बिना इजाजत तामीरात भूमाफियाओं, बिल्डर माफियाओं के संरक्षण में हनुमानदास द्वारा चिलमची चमचों की भीड़ इकठ्ठी कर करवाये जा रहे हैं तथा हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा एवं इनके अधीनस्थों का हनुमानदास को संरक्षण प्राप्त है।
उधर श्री वीर बालिका सीनियर सैकण्डरी स्कूल प्रबंधन जयपुर नगर निगम को जानकारी देने के बावजूद कार्यवाही नहीं करने के चलते अदालत को विस्तृत तथ्यों से अवगत करवाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं स्थानीय निवासी भी एकजुट होते जा रहे हैं और राज्य सरकार को नगर निगम के गैरजुम्मेदारान अफसरों को तत्काल निलम्बित करने की मांग का ज्ञापन देने की तैयारी कर रहे हैं।