जयपुर (अग्रगामी) सरकारी व सार्वजनिक जमीन पर कब्जा जमा कर अपना रूताबा झाडऩे के लिये एक बाबा जी पहुंच गये मुख्यमंत्री निवास पर 151 किलो का लड्डू लेकर अशोक गहलोत को भेंट करने! ताकि रूतबा झाड़ कर सार्वजनिक व सरकारी सम्पत्ति पर कब्जा कर सकें। ये बाबाजी हैं हनुमान दास!
अग्रगामी संदेश के हाथ लगे दस्तावेजों की फोटो कापियां बताती हैं कि अपने आप को मोतीडूंगरी पंचमुखी हनुमान मंदिर का महंत घोषित करने वाले हनुमानदास जयपुर के चारदिवारी क्षेत्र के कुन्दीगर भैंरू के रास्ते में वीर बालिका कॉलेज के सामने स्थित नाथूराम टिक्कीवाल की बगीची पर अपने रसूखात का रूतबा झाड़ कर अवैध रूप से बिना इजाजत तामीरात करवा कर कब्जा करने की साजिश में जुटे हैं और अब भी निर्माण कार्य जारी है। जबकि हनुमान दास न तो इस बगीची का मालिक है न ही सेवायतन और न ही पुजारी!
अग्रगामी संदेश के पास उपलब्ध दस्तावेजों की फोटो कापियों के अनुसार बगीची टिक्कीवालान के मामले में विवाद होने पर तत्कालीन जयपुर स्टेट ने अपने फैसले में आदेश जारी कर इस बगीची को बगीची ठाकुर जी री घोषित कर दिया था।
न्यायालय अपर जिला सेशन न्यायाधीश क्रम संख्या-6 जयपुर नगर जयपुर ने अपने निर्णय दिनांक 12 अगस्त, 1998 में माना है कि इस दस्तावेज में जो भाषा का प्रयोग किया गया है वह गोपाल दास को पुजारी के रूप में सम्बोधित कर किया गया है। यह मात्र उसकी पहिचान के लिये हो ऐसा अभिप्राय दस्तावेज से प्रगट नहीं होता है। यह बगीची ठाकुरजी की सेवा अर्चना में प्रयोग के लिये तुलछी पत्रर पुष्प आदि पूजन सामग्री के लिये ही दी जाना साबित होता है। बगीची का जो मंतव्य इस दस्तावेज में व्यक्त किया गया है किसी भी निर्माण की स्वीकृति नहीं है। अपितु यह तुलछी पत्रर पुष्प ठाकुरजी के चढ़ाने के सन्दर्भ में प्रयुक्त हुआ है। जिससे अभिप्राय इस प्रयोजनार्थ वृक्षारोपण कर कथित भूमि को बगीची के रूप में तैयार करने से ही लिया जा सकता है।
एडीजे-6 जयपुर नगर जयपुर के फैसले में साफ माना है कि इस जमीन के स्वामीत्व का अधिकार एवं पुजारी के उत्तराधिकार का उल्लेख दस्तावेज में नहीं है। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि बगीची टिक्कीवालान ठाकुरजी की सम्पत्ति है और हनुमानदास का इस सम्पत्ति से कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि यह सम्पत्ति ठाकुरजी की है, ऐसे में इस पर राज्य सरकार का जरिये देवस्थान स्वामित्व बनता है। क्योंकि वह ही इसकी असली मालिक है।
जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्टाचारियों ने इस कथित बाबा से सांठ-गांठ कर स्थापित कानूनों का उलंघन कर बगीची टिक्कीवालान पर इस बाबा का अवैध कब्जा करवा कर बगीची प्रांगण में गैरकानूनी तरीके से अवैध निर्माण करवा दिया। जबकि स्टेट के जमाने से अर्थात आजादी के पहिले से ही इस बगीची टिक्कीवालान में निर्माण कार्य पर पाबंदी है।
हनुमानदास जोकि अपने आप को मोतीडूंगरी पंचमुखी हनुमान का महंत बताते हैं ने बगीची टिक्कीवालान में गैरकानूनी बिना इजाजत तामीर अवैध तामीरात तो करवाये ही लेकिन इसके साथ-साथ बगीची से सटी छह फुट गली सरकारी पर भी नाजायज कब्जा जयपुर नगर निगम के आयुक्त मदन कुमार शर्मा और उनके अधीनस्थ कारिन्दों के साथ मिलीभगत कर और मुख्यमंत्री से नजदीकियों की नौटंकी रच कर कर लिया।
शर्मनाक स्थिति यह है कि अपर न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड क्रम संख्या-4 जयपुर महानगर द्वारा इस मामले में 30 अक्टूबर, 2012 को जारी निषेधाज्ञा के बावजूद निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा और उनके कारिन्दों की मिलीभगत से हनुमानदास ने अपने चिलमची चमचों की सहायता से कोर्ट के स्थगन आदेश की अवहेलना कर निर्माण कार्य चालू रखा और नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने नगर निगम के वकील के जरिये न तो अदालत को जानकारी दी और न ही राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245 एवं 287 के तहत कार्यवाही कर अवैध निर्माण को ध्वस्त कर सम्पत्ति को राजकीय संरक्षण में लेकर अवैध रूप से अतिक्रमण करने, अवैध रूपसे सार्वजनिक सम्पत्ति पर कब्जा करने एवं अवैध रूपसे बिना इजाजत तामीरात करने वालों के खिलाफ सक्षम वैधानिक कार्यवाही की!
न्यायालय अपर जिला सेशन न्यायाधीश क्रम संख्या-6 जयपुर नगर जयपुर ने अपने निर्णय दिनांक 12 अगस्त, 1998 में माना है कि इस दस्तावेज में जो भाषा का प्रयोग किया गया है वह गोपाल दास को पुजारी के रूप में सम्बोधित कर किया गया है। यह मात्र उसकी पहिचान के लिये हो ऐसा अभिप्राय दस्तावेज से प्रगट नहीं होता है। यह बगीची ठाकुरजी की सेवा अर्चना में प्रयोग के लिये तुलछी पत्रर पुष्प आदि पूजन सामग्री के लिये ही दी जाना साबित होता है। बगीची का जो मंतव्य इस दस्तावेज में व्यक्त किया गया है किसी भी निर्माण की स्वीकृति नहीं है। अपितु यह तुलछी पत्रर पुष्प ठाकुरजी के चढ़ाने के सन्दर्भ में प्रयुक्त हुआ है। जिससे अभिप्राय इस प्रयोजनार्थ वृक्षारोपण कर कथित भूमि को बगीची के रूप में तैयार करने से ही लिया जा सकता है।
एडीजे-6 जयपुर नगर जयपुर के फैसले में साफ माना है कि इस जमीन के स्वामीत्व का अधिकार एवं पुजारी के उत्तराधिकार का उल्लेख दस्तावेज में नहीं है। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि बगीची टिक्कीवालान ठाकुरजी की सम्पत्ति है और हनुमानदास का इस सम्पत्ति से कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि यह सम्पत्ति ठाकुरजी की है, ऐसे में इस पर राज्य सरकार का जरिये देवस्थान स्वामित्व बनता है। क्योंकि वह ही इसकी असली मालिक है।
जयपुर नगर निगम में बैठे भ्रष्टाचारियों ने इस कथित बाबा से सांठ-गांठ कर स्थापित कानूनों का उलंघन कर बगीची टिक्कीवालान पर इस बाबा का अवैध कब्जा करवा कर बगीची प्रांगण में गैरकानूनी तरीके से अवैध निर्माण करवा दिया। जबकि स्टेट के जमाने से अर्थात आजादी के पहिले से ही इस बगीची टिक्कीवालान में निर्माण कार्य पर पाबंदी है।
हनुमानदास जोकि अपने आप को मोतीडूंगरी पंचमुखी हनुमान का महंत बताते हैं ने बगीची टिक्कीवालान में गैरकानूनी बिना इजाजत तामीर अवैध तामीरात तो करवाये ही लेकिन इसके साथ-साथ बगीची से सटी छह फुट गली सरकारी पर भी नाजायज कब्जा जयपुर नगर निगम के आयुक्त मदन कुमार शर्मा और उनके अधीनस्थ कारिन्दों के साथ मिलीभगत कर और मुख्यमंत्री से नजदीकियों की नौटंकी रच कर कर लिया।
शर्मनाक स्थिति यह है कि अपर न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड क्रम संख्या-4 जयपुर महानगर द्वारा इस मामले में 30 अक्टूबर, 2012 को जारी निषेधाज्ञा के बावजूद निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा और उनके कारिन्दों की मिलीभगत से हनुमानदास ने अपने चिलमची चमचों की सहायता से कोर्ट के स्थगन आदेश की अवहेलना कर निर्माण कार्य चालू रखा और नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के आयुक्त मदन कुमार शर्मा ने नगर निगम के वकील के जरिये न तो अदालत को जानकारी दी और न ही राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245 एवं 287 के तहत कार्यवाही कर अवैध निर्माण को ध्वस्त कर सम्पत्ति को राजकीय संरक्षण में लेकर अवैध रूप से अतिक्रमण करने, अवैध रूपसे सार्वजनिक सम्पत्ति पर कब्जा करने एवं अवैध रूपसे बिना इजाजत तामीरात करने वालों के खिलाफ सक्षम वैधानिक कार्यवाही की!
अतिक्रमणी लड्डू लेकर पहुंचे उपमहापौर के दफ्तर में!
जयपुर (अग्रगामी) राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुरूवार को 151 किलो का लड्डू भेंट करने के बाद कुन्दीगर भैरू का रास्ता स्थिति श्री वीर बालिका कॉलेज के सामने और श्री वीर बालिका सीनियर सैकण्डरी स्कूल के पिछवाड़े में छह फुट की सरकारी गली पर अतिक्रमण और सार्वजनिक सम्पत्ति बगीची टिक्कीवालान पर अनधिकृत रूप से कब्जा कर बगीची के हरे वृक्षों और पौधों को नष्ट कर गैर कानूनी रूप से बिना सक्षम इजाजत के अवैध भवन निर्माण करने वाले लोग गत शुक्रवार को उपमहापौर मनीष पारीक के दफ्तर में भी लड्डूओं का टोकरा लेकर पहुंच गये। शुक्रवार सांय लगभग पांच बजे जब गली सरकारी और बगीची टिक्कीवालान पर कब्जा कर गैरकानूनी बिना इजाजत तामीर करने वाले स्वंयभूं महन्त हनुमानदास लड्डू का टोकरा लेकर उपमहापौर मनीष पारीक के पास पहुंचे तब यह संवाददाता भी वहीं मौजूद था।
हनुमानदास बाबा ने उपमहापौर मनीष पारीक को एक चिट्ठी भी सौंपी और कुछ कहा। मनीष पारीक ने इसके बाद किसी अफसर को टेलीफोन पर बाबा की पैरवी की, लेकिन बाबा द्वारा दी गई एक पेज की चिट्ठी वापस बाबा को ही लौटा दी!
ज्ञातव्य रहे कि अपने आपको पंचमुखी हनुमान मंदिर मोतीडूंगरी का महन्त बताने वाले हनुमानदास बाबा ने राठौड़ी से बगीची टिक्कीवालान पर कब्जा कर उससे सटी छह फुट की सरकारी गली भी हथियाली। यही नहीं अदालती आदेशों, राज्य सरकार के आदेशों और राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194, 245 एवं 287 तथा पर्यावरण अधिनियम 1986 के तहत कार्यवाही की आशंका से अब बाबाजी भगवान हनुमान की आड़ लेकर बचने के लिये लड्डू बांटते फिर रहे हैं। इस ही क्रम में बाबा हनुमानदास गुरूवार को 151 किलो का लड्डू लेकर पहुंच गये मुख्यमंत्री के आवास पर, वहीं एक टोकरा लड्डू भरकर शुक्रवार को पहुंच गये उपमहापौर मनीष पारीक के दफ्तर में भी!