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अवाम के रूख से हैं परेशान राजनेता!

जयपुर  (अग्रगामी) गत शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने लावलश्कर के साथ इजराइल प्रस्थान कर गये। गहलोत के विदेश यात्रा पर जाने के तुरंत बाद प्रदेश में राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोपों की तीरंदाजी लगभग थम गई है। कांग्रेस की संदेश यात्रा की हवा निकल चुकी है! वहीं भाजपा की वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में निकाली जा रही स्वराज्य संकल्प यात्रा भी अब अवाम को रास नहीं आ रही है। एनपीपी के डॉ.किरोड़ीलाल मीणा के नेतृत्व में चल रही हेलीकाप्टर यात्रा ने भी अब नेपथ्य का रास्ता अपना लिया लगता है। शवयात्रा का अतापता तो शायद खुद आयोजकों को भी नहीं होगा! वैसे वामपंथी जनवादी दल हकीकत में जनता से रूबरू होने की अपनी मुहिम में जुटे हैं। उनकी यह मुहिम कितनी कारगर होगी? यह तो वक्त ही बतायेगा।
लेकिन जनता ने भी इन यात्राओं का खूब मजा लिया! भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धरा राजे अवाम को यह भी नहीं बता पाई कि उन्होंने पिछले चार वर्षों में राजस्थान की जनता के लिये क्या किया? अपनी स्वराज्य संकल्प यात्रा के दौरान वसुन्धरा राजे यह भी अवाम के सामने स्पष्ट नहीं कर पाई कि अगर वे सत्ता में आती हैं तो उनका रोड़मैप क्या होगा? वसुन्धरा राजे की संकल्प यात्रा के अब तक सम्पन्न हुए चरणों में उदयपुर और कोटा सम्भागों में पार्टी नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आये। उदयपुर सम्भाग में किरण माहेश्वरी और नन्दलाल मीणा खेमा गुलाबचंद कटारिया खेमे को नीचा दिखाने के लिये खुद भी निम्रस्तर पर उतर आया वहीं एनपीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.किरोड़ीलाल मीणा के उदयपुर और कोटा सम्भाग में धुंआधार हेलीकाप्टर प्रचार के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य नजर आया कि येन-केन-प्रकेरण अर्थात किसी भी हद तक जाकर भाजपा का भट्टा बैठाना है। आगामी चुनावों के मद्देनजर अगर भाजपा अपनी अन्दरूनी कलह और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की मुहिम से होने वाले डेमेज को कंट्रोल करने के प्रयास अभी से नहीं करेगी तो इसकी भारी कीमत उसे चुकानी होगी।
उधर कांग्रेस की नैया पार करने के लिये पतवार सिर्फ अशोक गहलोत के पास है! कांग्रेस की संदेश यात्रा के जितने चरणों में वे प्रदेश में घूमें, उन्हें साफ-साफ नजर आ गया कि कांग्रेस की चुनावी नैया मझधार में भंवर में अटक गई है। हाडौती, मेवाड़ और मारवाड़ के कुछ हिस्सों में कांग्रेस पार्टी का संगठनात्मक ढांचा लगभग पूरी तरह चरमराया हुआ है। शेखावाटी, थली (बीकानेर, चूरू, गंगानगर क्षेत्र) में वामपंथी जनवादी दल अपना दबदबा बढ़ाते जा रहे हैं, नतीजन कांग्रेस को मोटा नुकसान होने का खतरा है। इस बार आज की स्थिति में सीकर, झुंझनूं, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर जिलों में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के हालात खस्ता हैं। प्रदेश की राजधानी जयपुर में भी दोनों ही पार्टियों के गढ़ों में भारी परिवर्तन के हालात पैदा हो रहे हैं। वर्तमान में हकीकत यह उभर रही है कि कांग्रेस पार्टी को कांग्रेसी ही पटखनी लगायेंगे और भाजपा की नैय्या डूबोने का काम भाजपाई ही करेंगे!
जनता दल यूनाइटेड वैसे ही एक-दो सीट तक सिमट चुका है। उसे उन्हीं सीटों पर संतोष कर अपनी सारी ताकत उन्हें जीतने के लिये झौंकनी चाहिये। रहा सवाल समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, एनसीपी, लोकजनशक्ति पार्टी सहित अन्य पार्टियों का है, तो ये पार्टियां अधिकांशत: वोट काटू पार्टियां ही बन कर रह जायेगी!
वामपंथी जनवादी पार्टियों की स्थिति यह है कि वे आपस में तालमेल नहीं बना पा रही है। इनमें सीटों के बंटवारे जैसी कोई समस्या भी नहीं है, लेकिन कामरेड़ों में वर्चस्व की बेतुकी लड़ाई है! फिर भी इन दलों ने सीकर, झुंझनूं, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर जिलों में अपनी पकड़ मजबूत की है। नतीजे तो वोटिंग मशीनों के खुलने से ही उजागर होंगे।
सबसे दिलचस्प मुद्दा है कि राजस्थान की जनता सभी यात्राओं में शिरकत कर रही है। जो कांग्रेस की संदेश यात्रा में जा रहा है, वह भाजपा की स्वराज्य संकल्प यात्रा में भी पहुंच रहा है। वहीं हेलीकाप्टर यात्रा को भी देख सुन रहा है। लेकिन इस बार राजनेताओं की कलाबाजियां देखने के लिये अवाम ने अभी से ही मौन धारण कर लिया है। यहां तक कि इन यात्राओं के लिये जुटाई जा रही भीड़ में शामिल लोगों के भी होट सिले हुए हैं। उन्होंने अपनी स्थिति जैसा देश वैसा भेष वाली बना ली है। अवाम की इस सोच के कारण सभी राजनैतिक दलों के नेताओं की पेशानी पर शिकनों का सैलाब है!

 
AGRAGAMI SANDESH

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