जयपुर (अग्रगामी) धार्मिक स्थल में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने के एक मामले में जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व आयुक्त ने नोटिस जारी कर उक्त धार्मिक स्थल पर कब्जा जमाये बैठे लोगों और कथित किरायेदारों से जवाब तलब किया है। ये समाचार लिखे जाने तक कथित किरायेदारों और अवैध कब्जाधारियों ने नोटिसों का जवाब नगर निगम को पेश नहीं किया है।
मामला, जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के चौकड़ी घाटगेट के कुंदीगर भैंरू का रास्ता में भवन म्युनिसिपल संख्या 4439 में स्थित खरतरगच्छ संघ की मंडोवरा शाखा के श्रीपूज्य जी महाराज का बड़ा उपासरा के नाम से मशहूर उपाश्रय का है। इस खरतरगच्छीय मण्डोवरा पीठ के अंतिम आचार्य श्री जिन धरणेन्द्र सूरि ने 19 दिसम्बर, 1967 को निष्पादित अपनी वसीयत में नामित ग्यारह प्रतिनिधियों के जरिये गद्दी के श्रावकों को कब्जे का अधिकार दिया गया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिये गये थे कि उनको उपासनागृह को बेचने, किराये पर देने, गिरवी रखने व गृहस्थाश्रम रखने का कोई भी अधिकार कभी भी नहीं रहेगा!
लेकिन सूत्र बताते हैं कि वसीयत में वर्णित निर्देशों की अवहेलना कर पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़ और सुशील कुमार बुरड़ सहित कुछ लोगों द्वारा जैन संस्कृति एवं धर्म की अवमानना और आचार्य श्री जिन धरणेन्द्र सूरि की वसीयत में दिये गये निर्देशों का उलंघन कर अवैध तरीके से उक्त उपाश्रय के प्रथम तल को कॉमर्शियल गतिविधियां चलाने केलिये किराये पर उठा दिया गया। जबकि इन्हें ऐसा करने का अधिकार न तो था और न ही है।
इस प्रकरण में ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक की राजस्थान इकाई के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने गत 01 मार्च, 2013 को पत्र लिख कर जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आयुक्त मुख्यालय, आयुक्त हवामहल जोन पूर्व, आयुक्त सतर्कता सहित प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास विभाग राजस्थान व जिला कलक्टर जयपुर को पत्र लिख कर राज्य सरकार के नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन विभाग के परिपत्र क्रमांक प.10 (54) नविवि/3/2005 पार्ट दिनांक 13 जून, 2012 व इससे पूर्ववर्ती समसंख्यांक पत्र 25 फरवरी, 2009, 16 अप्रेल, 2010, 25 फरवरी, 2011 व 6 जून, 2011 साथ ही राजस्थान राजपत्र विशेषांक दिनांक 01 फरवरी, 2013 में प्रकाशित नगर निगम जयपुर भवन अनियमिति निर्माण/नियमवद्धता/नियमितीकरण उपविधियां, 2012, की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए जैन संस्कृति और धर्म तथा स्थापित कानूनों की अवमानना और अवहेलना करने वाले इस कृत्य पर तत्काल सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने पत्र में मांग की है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली इस धार्मिक उपासना स्थल में संचालित कॉमर्शियल गतिविधियों को तत्काल रोकने के लिये राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (7)(एफ) एवं 285 के तहत तत्काल कार्यवाही कर अवैध कॉमर्शियल निर्माण को सीज किया जाकर तत्सम्बन्धी अगली कार्यवाही की जाये।
उन्होंने आगे बताया कि पदमचंद गोलेछा व राजेन्द्र कुमार छाजेड़ का खरतरगच्छ संघ की मण्डोवरा शाखा से कोई धार्मिक तारतम्य नहीं है। लेकिन ये अपनी दादागिरी के चलते जैन समाज के विभिन्न पंथों की सम्पत्तियों पर कुंडली मार कर बैठे हैं। हम खोलेंगें विस्तार से इनकी करतूतों का कच्चा चिठ्ठा अगले अंकों में। क्रमश:
मामला, जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के चौकड़ी घाटगेट के कुंदीगर भैंरू का रास्ता में भवन म्युनिसिपल संख्या 4439 में स्थित खरतरगच्छ संघ की मंडोवरा शाखा के श्रीपूज्य जी महाराज का बड़ा उपासरा के नाम से मशहूर उपाश्रय का है। इस खरतरगच्छीय मण्डोवरा पीठ के अंतिम आचार्य श्री जिन धरणेन्द्र सूरि ने 19 दिसम्बर, 1967 को निष्पादित अपनी वसीयत में नामित ग्यारह प्रतिनिधियों के जरिये गद्दी के श्रावकों को कब्जे का अधिकार दिया गया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिये गये थे कि उनको उपासनागृह को बेचने, किराये पर देने, गिरवी रखने व गृहस्थाश्रम रखने का कोई भी अधिकार कभी भी नहीं रहेगा!
लेकिन सूत्र बताते हैं कि वसीयत में वर्णित निर्देशों की अवहेलना कर पदमचंद गोलेछा, राजेन्द्र कुमार छाजेड़ और सुशील कुमार बुरड़ सहित कुछ लोगों द्वारा जैन संस्कृति एवं धर्म की अवमानना और आचार्य श्री जिन धरणेन्द्र सूरि की वसीयत में दिये गये निर्देशों का उलंघन कर अवैध तरीके से उक्त उपाश्रय के प्रथम तल को कॉमर्शियल गतिविधियां चलाने केलिये किराये पर उठा दिया गया। जबकि इन्हें ऐसा करने का अधिकार न तो था और न ही है।
इस प्रकरण में ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक की राजस्थान इकाई के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने गत 01 मार्च, 2013 को पत्र लिख कर जयपुर नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आयुक्त मुख्यालय, आयुक्त हवामहल जोन पूर्व, आयुक्त सतर्कता सहित प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास विभाग राजस्थान व जिला कलक्टर जयपुर को पत्र लिख कर राज्य सरकार के नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन विभाग के परिपत्र क्रमांक प.10 (54) नविवि/3/2005 पार्ट दिनांक 13 जून, 2012 व इससे पूर्ववर्ती समसंख्यांक पत्र 25 फरवरी, 2009, 16 अप्रेल, 2010, 25 फरवरी, 2011 व 6 जून, 2011 साथ ही राजस्थान राजपत्र विशेषांक दिनांक 01 फरवरी, 2013 में प्रकाशित नगर निगम जयपुर भवन अनियमिति निर्माण/नियमवद्धता/नियमितीकरण उपविधियां, 2012, की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए जैन संस्कृति और धर्म तथा स्थापित कानूनों की अवमानना और अवहेलना करने वाले इस कृत्य पर तत्काल सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने पत्र में मांग की है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली इस धार्मिक उपासना स्थल में संचालित कॉमर्शियल गतिविधियों को तत्काल रोकने के लिये राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (7)(एफ) एवं 285 के तहत तत्काल कार्यवाही कर अवैध कॉमर्शियल निर्माण को सीज किया जाकर तत्सम्बन्धी अगली कार्यवाही की जाये।
उन्होंने आगे बताया कि पदमचंद गोलेछा व राजेन्द्र कुमार छाजेड़ का खरतरगच्छ संघ की मण्डोवरा शाखा से कोई धार्मिक तारतम्य नहीं है। लेकिन ये अपनी दादागिरी के चलते जैन समाज के विभिन्न पंथों की सम्पत्तियों पर कुंडली मार कर बैठे हैं। हम खोलेंगें विस्तार से इनकी करतूतों का कच्चा चिठ्ठा अगले अंकों में। क्रमश: