बताओ सीईओ जगरूप सिंह यादव साहब !
जयपुर (अग्रगामी) जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व के दफ्तर से एक अवैध निर्माण से सम्बन्धित फाइल लापता हो गई है। लेकिन नगर निगम के एक जेईएन से संरक्षण प्राप्त अवैध निर्माणकर्ता तेजी से अवैध निर्माण कार्य जारी रखे हुए है।
किस्सा है जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व में चौकडी विश्वेश्वरजी के रामलला जी के रास्ते में म्युनिसिपल नम्बर 2055 में बिना इजाजत किये जा रहे अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण का! कोढ़ में खाज यह है कि इस अवैध निर्माण से सम्बन्धित फाइल को ही गायव कर दिया गया है। लेकिन फाइल गायब होने से पहिले एक सूचना का अधिकार कार्यकर्ता ने इस फाइल की सूचना का अधिकार कानून के तहत सत्यापित प्रतियां प्राप्त की थी। जिसकी जानकारी अग्रगामी संदेश को भी है।
दरअसल इस फाइल के लापता होने के पीछे एक गहरा राज है। आयुक्त हवामहल जोन पूर्व जयपुर नगर निगम म्युनिसिपल नम्बर 2055 में हो रहे इस अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण से सम्बन्धित मामले में भवन के मालिक गोवर्धनदास माहेश्वरी और उनके एडवोकेट हरीश श्रीवास्तव को उनके नोटिस के जवाब में जो पत्र क्रमांक एफ-52/एमसी/एचएमजेड/ई/011/61 दिनांक 27 अप्रेल, 2011 लिखा गया था, उसकी एक प्रति कनिष्ठ अभियन्ता हवामहल जोन पूर्व डी.सी.सोनी को भी अंकित की गई थी और उन्हें आदेशित किया गया था कि वे मौके पर निगरानी रखें एवं अवैध निर्माण होने की सूरत में आवश्यक कार्यवाही करवायें।
लेकिन जैसा कि हमने पिछले अंक में लिखा था, खुद जेईएन धर्मचंद सोनी अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स निर्माणकर्ता गोवर्धनदास माहेश्वरी वगैहरा की हवामहल जोन पूर्व कार्यालय में पैरवी करते नजर आये। सोनी की छत्रछाया में भवन म्युनिसिपल नम्बर 2055 में धड़ल्ले से अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण कार्य जोरशोर से चालू है।
जयपुर नगर निगम के वर्तमान में मोतीडूंगरी जोन में नियुक्त जेईएन धर्मचंद सोनी की शह पर गोवर्धनदास माहेश्वरी ने मामले में केस कम्पाउंड की अर्जी भी लगाई है ताकि उसके द्वारा किये गये अवैध निर्माण को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 194 (7)(एफ) के तहत सीज कर तोड़ा नहीं जाये। लेकिन जेईएन धर्मचंद सोनी और उनकी भजनमंडली शायद यह भूल गई कि राजस्थान राजपत्र विशेषंक 01 फरवरी, 2013 में प्रकाशित नगर निगम जयपुर (भवन अनियमित निर्माण/नियमबद्धता/नियमितिकरण) उपविधियां 2012 में उल्लेखित आदेशों और राज्य के नगरीय विकास, आवास एवं स्वायत्त शासन विभाग के आदेश क्रमांक प.10 (54) नविवि/3/2005 पार्ट दिनांक 13 जून, 2012 में उल्लेखित आदेशों के तहत इस गैरकानूनी रूप से बने अवैध कॉमर्शियल काम्प्लेक्स प्रकरण में नगर निगम इसका नियमितिकरण (कम्पाउण्ड) नहीं कर सकता है।
अग्रगामी संदेश इस तथ्य का भी पता लगाने में जुटा है कि इस अवैध निर्माण में बिल्डर के साथ जयपुर नगर निगम के चुनिन्दा जनप्रतिनिधी, अफसरों और उनके परिजनों में से क्या किसी की कोई बेनामी साझेदारी है? अगले अंकों में हम करेंगे इस प्रकरण में ओर भी खुलासे! क्रमश: